Last Updated: Friday, January 25, 2013, 14:03

नई दिल्ली : देश की राजधानी में चलती बस में सामूहिक बलात्कार का शिकार बनी युवती और उसके दोस्त की मदद के लिए किसी आम आदमी के नहीं आने के लिए न्यायमूर्ति जेएस वर्मा समिति ने पुलिसिया बदसलूकी को जिम्मेदार ठहराया है।
भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति वर्मा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति की रपट में कहा गया है कि 16 दिसंबर को सामूहिक बलात्कार की शिकार युवती और उसके साथी बुरी तरह घायल थे और काफी समय तक सडक के किनारे निर्वस्त्र पडे थे। रिपोर्ट में कहा गया कि सभ्य, समाज के लोगों की उदासीनता का इसी से पता चलता है कि वहां खडे लोग और गुजरने वाले लोग पीडित की मदद को लेकर अपने नागरिक कर्तव्य का पालन करने में विफल रहे।
इसकी वजह बताते हुए समिति ने कहा कि किसी भी नेक आदमी के साथ पुलिस का दुर्व्यतवहार अक्सर इस उदासीनता की वजह होता है। लेकिन इससे नागरिकों को अपने कर्तव्य पालन से पीछे नहीं हटना चाहिए। समिति ने कहा कि नागरिकों के बर्ताव में यदि बदलाव आता है तो इससे पुलिस का आचरण भी सुधरेगा। इस प्रयास को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
फीजियोथेरेपी की 23 वर्षीय छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार के बाद देश की सडकों पर गुस्सा फूटा। राजधानी दिल्ली में भारी संख्या में लोगों विशेषकर युवाओं ने पहले राष्ट्रपति भवन के सामने विजय चौक और फिर इंडिया गेट पर प्रदर्शन किया। शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पुलिस की बर्बर कार्रवाई, लाठीचार्ज पर समिति ने कहा कि इस लाठीचार्ज ने भारतीय लोकतंत्र को भयभीत किया।
उल्लेखनीय है कि बलात्कार की शिकार युवती के साथ इतनी बर्बरता की गई थी कि सिंगापुर में इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया। (एजेंसी)
First Published: Friday, January 25, 2013, 14:03