Last Updated: Monday, April 23, 2012, 14:46
चेन्नई : दूर संवेदी उपग्रह रिसैट-1 के गुरुवार को प्रक्षेपण के लिए आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में उल्टी गिनती शुरू हो गई। इसरो के एक अधिकारी ने कहा कि यह उपग्रह इस क्षेत्र में देश की वैश्विक स्थिति और अधिक मजबूत बनाएगा। इसरो के एक अधिकारी ने कहा कि स्वदेशी राडार इमेजिंग सैटेलाइट (रिसैट-1) का इस्तेमाल आपदाओं के पूर्वानुमान और कृषि सम्बंधी अग्रिम सूचनाओं के लिए किया जाएगा। साथ ही इसकी उच्च रेजोल्यूशन की तस्वीरों और सूक्ष्म प्रतिबिंबों का इस्तेमाल रक्षा उद्देश्यों के लिए किया जाएगा।
1,858 किलोग्राम वजनी स्वदेशी खुफिया/निगरानी उपग्रह रिसैट-1 का प्रक्षेपण 26 अप्रैल को सुबह 5.47 बजे ध्रुवीय प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) से किया जाएगा। इसरो के अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा कि गुरुवार को होने वाले प्रक्षेपण के लिए उल्टी गिनती सोमवार 6.47 बजे शुरू हो गई। चौथे चरण के लिए 2.5 टन ईंधन भरा जा रहा है। वही ईंधन, लेकिन कम मात्रा में (600 किलोग्राम) रॉकेट कंट्रोल सिस्टम के लिए भी भरा जाएगा। दूरसंवेदी उपग्रह धरती पर तस्वीरें तथा अन्य आंकड़े भेजते हैं। भारत के पास दूरसंवेदी उपग्रहों की दुनिया में सर्वाधिक संख्या है और इस तरह के आंकड़ों का यह दुनिया में सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है।
भारत के पास 11 दूरसंवेदी उपग्रह हैं। ये हैं टीईएस, रिसोर्ससैट-1, काटरेसैट 1, 2, 2ए और 2बी, आईएमएस 1, रिसैट-2, ओसनसैट 2, रिसोर्ससैट-2, मेघा-ट्रोपिक्स। इसरो के एक अधिकारी के मुताबिक, रॉकेट के दूसरे स्तर के लिए मंगलवार को रॉकेट सिस्टम में गैस और तरल ईंधन भरा जाएगा। इसरो के अधिकारियों के मुताबिक नए मिशन कंट्रोल केंद्र से अंतरिक्ष वैज्ञानिक रॉकेट के प्रक्षेपण को नियंत्रित करेंगे। राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील ने जनवरी में केंद्र का उद्घाटन किया था।
(एजेंसी)
First Published: Monday, April 23, 2012, 23:16