Last Updated: Tuesday, February 21, 2012, 14:22
नई दिल्ली : पिछले तीन दशक में राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल सबसे दयालु राष्ट्रपति प्रतीत होती हैं जिन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान 23 लोगों की मौत की सजा को आजीवन कारावास में तब्दील कर दिया।
राष्ट्रपति भवन से आरटीआई के तहत प्राप्त जवाब से पता चला कि राष्ट्रपति ने नौ फरवरी को सुशील मुर्मू की दया याचिका को स्वीकार कर लिया जो वर्ष 2004 से ही लंबित थी। झारखंड में अपनी समृद्धि के लिये नौ वर्षीय एक बच्चे को बलि देने का वह दोषी है।
इसमें कहा गया है कि वर्ष 1981 से मौत की सजा को आजीवन कारावास की सजा में तब्दील करने के लिये 91 सजायाफ्ता लोगों ने राष्ट्रपति भवन के दरवाजे खटखटाये। इन याचिकाओं में से 31 की याचिका स्वीकार हुई जिनमें से 23 उनके कार्यकाल में स्वीकार हुई। याचिकाकर्ता सुभाष अग्रवाल को भेजे गये जवाब के मुताबिक 18 दया याचिकाएं अब भी राष्ट्रपति के समक्ष लंबित हैं।
पाटिल ने बहरहाल पांच लोगों की याचिकाओं को खारिज कर दिया जिनमें तीन राजीव गांधी के हत्यारे संथाम, मुरुगन और अरिवू शामिल हैं। इसके अलावा असम के दविंदर पाल सिंह और महेंद्र नाथ दास की याचिकाएं भी ठुकरा दी गईं जिन्होंने गुवाहाटी के तत्कालीन ट्रक चालक संगठन के 68 वर्षीय सचिव हरकांत दास की हत्या कर दी थी। मुर्मू को हत्या के लिये मृत्युदंड मिला था लेकिन राष्ट्रपति ने उसे आजीवन कारावास में बदल दिया। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, February 21, 2012, 19:52