Last Updated: Monday, November 19, 2012, 20:40

नई दिल्ली : लोकपाल पर राज्यसभा की प्रवर समिति ने लोकायुक्तों के गठन को लोकपाल विधेयक से अलग करने की सिफारिश की है। संप्रग के कुछ सहयोगी दलों के साथ विपक्षी दल इस प्रावधान पर कड़ा विरोध जता रहे थे। प्रधानमंत्री को आतंरिक,बाहरी सुरक्षा, परमाणु ऊर्जा, अंतरराष्ट्रीय संबंधों और सार्वजनिक व्यवस्था के मुद्दों पर लोकपाल से छूट की बात कही गई है।
हालांकि ‘लोकपाल और लोकायुक्त विधेयक, 2011’ पर राज्यसभा की प्रवर समिति ने कहा कि राज्य सरकारों को उक्त कानून बनने के एक साल के भीतर राज्य विधानसभा द्वारा कानून पारित करके अपने खुद के लोकायुक्त बनाने होंगे।
समिति की सिफारिश को विपक्षी दलों और संप्रग के सहयोगी दलों की राय से बड़ी सहमति माना जा रहा है जिन्होंने इस लोकपाल विधेयक में लोकायुक्तों वाले प्रावधान को संघीय ढांचे पर हमला करार देते हुए कहा कि राज्य सरकारों को राज्यस्तरीय लोकायुक्त के संबंध में अपना खुद का कानून पारित करने की आजादी होनी चाहिए।
लोकसभा से पारित लोकपाल विधेयक पिछले शीतकालीन सत्र में राज्यसभा में अटक गया था। इसमें प्रावधान था कि इस केंद्रीय कानून के तहत हर राज्य में लोकायुक्त का गठन होना चाहिए।
कांग्रेस के सत्यव्रत चतुर्वेदी की अध्यक्षता वाली समिति को इस साल मई में विस्तार से पड़ताल के लिए विधेयक को भेजा गया था।
समिति ने सोमवार को अपनी मसौदा रिपोर्ट को मंजूर किया। समझा जाता है कि समिति ने ‘आरक्षण’ से जुड़े प्रावधान में किसी तरह के बदलाव की सिफारिश नहीं की है। मूल प्रावधान में कहा गया है कि ‘लोकपाल के सदस्यों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक और महिला सदस्य 50 प्रतिशत से कम नहीं होंगे।’
रिपोर्ट के मुताबिक,‘इन प्रावधानों का मकसद महज लोकपाल की संस्था में समाज के विविध वर्गों को प्रतिनिधित्व प्रदान करना है।’ भाजपा को इस प्रावधान को लेकर कड़ी आपत्ति है और समझा जाता है कि उसने आज की बैठक में इसका विरोध करते हुए ‘सुझाव पत्र’ दिया है।
विधेयक में मूल प्रावधान कहता है कि अनुसूचित जाति-जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यकों और महिलाओं में से लोकपाल में 50 प्रतिशत से कम सदस्य नहीं होंगे। समिति में इस प्रावधान को लेकर यह राय पुरजोर तरीके से उठाई गई कि इसका कोई संवैधानिक आधार नहीं है और यह टिका नहीं रह सकता।
कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग का मानना है कि ये प्रावधान ‘प्रतिनिधित्व’ की प्रकृति के हैं ना कि आरक्षण के और इसलिए ये टिकाऊ हैं।
हालांकि संविधान में आरक्षण के अनुच्छेदों पर विचार करते हुए समिति ने कहा कि विधेयक में प्रावधानों का मकसद महज समाज के अलग अलग वर्गों को प्रतिनिधित्व प्रदान करना है।
प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारियों को अलग करने के कानून मंत्रालय के अधिकारियों के सुझावों के बावजूद कांग्रेस सदस्य सत्यव्रत चतुर्वेदी की अध्यक्षता वाली समिति ने ऐसी कोई सिफारिश नहीं की है। प्रधानमंत्री को आतंरिक,बाहरी सुरक्षा, परमाणु ऊर्जा, अंतरराष्ट्रीय संबंधों और सार्वजनिक व्यवस्था के मुद्दों पर लोकपाल से छूट की बात है।
माना जा रहा है कि सीबीआई को सरकार के नियंत्रण से स्वतंत्र करने के भाजपा और जदयू जैसे दलों के विचार को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए प्रवर समिति ने सिफारिश की है कि सीबीआई के प्रमुख की नियुक्ति प्रधानमंत्री,लोकसभा में नेता विपक्ष और भारत के प्रधान न्यायाधीश के कॉलेजियम द्वारा की जानी चाहिए।
समिति ने यह भी सिफारिश की है कि सीबीआई का एक अलग अभियोजन निदेशालय होना चाहिए। उसने कहा कि अभियोजन निदेशक की नियुक्ति केंद्रीय सतर्कता आयुक्त द्वारा की जानी चाहिए। सीबीआई प्रमुख और अभियोजन प्रमुख का निश्चित कार्यकाल होना चाहिए।
समिति ने कहा कि लोकपाल द्वारा भेजे गए मामलों के लिए सीबीआई लोकपाल की सहमति से सरकारी वकीलों के अलावा अधिवक्ताओं का एक पैनल बना सकती है। लोकपाल द्वारा भेजे गए मामलों की जांच कर रहे सीबीआई अधिकारियों का तबादला केवल लोकपाल की मंजूरी से ही किया जाएगा।
लोकपाल की संस्था के प्रमुख या किसी सदस्य के निलंबन के मुद्दे पर सरकार का विचार था कि राष्ट्रपति नियुक्ति प्राधिकार हैं और उनके पास ही हटाने का अधिकार होना चाहिए।
उधर समिति के सदस्यों ने कहा कि इस बारे में फैसला कार्यपालिका का होने के बजाय इसमें न्यायिक राय होनी चाहिए।
संबंधित प्रावधान में संशोधन का सुझाव देते हुए समिति ने कहा,‘समिति में अंतत: जो राय उभरी वह यह है कि इसके अध्यक्ष, सदस्यों का निलंबन उच्चतम न्यायालय की सिफारिश, अंतरिम आदेश के बाद ही प्रभावी होगा।’
समिति ने यह सिफारिश भी की है कि जिन गैर सरकारी संगठनों को सरकार से सीधा सहयोग मिल रहा हो केवल उन्हें ही लोकपाल के दायरे में रखा जाए अन्यथा प्रस्तावित संस्थान में शिकायतों का अंबार लग जाएगा। (एजेंसी)
First Published: Monday, November 19, 2012, 18:03