Last Updated: Thursday, June 20, 2013, 00:27
ज़ी मीडिया ब्यूरो/एजेंसी नई दिल्ली : प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उत्तराखंड में भयंकर बारिश और विनाशकारी बाढ़ से प्रभावित लोगों के लिए आपदा राहत के रूप में 1000 करोड़ रुपये देने का बुधवार को ऐलान किया। संप्रग एवं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ राज्य के बाढ़ प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण करने के बाद जारी एक बयान में सिंह ने कहा कि 1000 करोड़ रुपये की राशि में से 145 करोड़ रुपये तत्काल जारी किए जा रहे हैं।
उधर, उत्तराखंड में मूसलधार बारिश और बाढ़ की भयावह आपदा ने 150 लोगों की जान ले ली है और हताहतों की संख्या बढ़ने की आशंका है। इस बीच आसमान साफ होने पर राहत और बचाव कार्यों को तेज किया जा रहा है। भूस्खलन और अचानक आई बाढ़ के कारण अभी हजारों लोग लापता बताए जा रहे हैं। इस प्राकृतिक आपदा के चलते 62,000 से अधिक तीर्थयात्री व पर्यटक फंसे हुए हैं। यह जानकारी अधिकारियों और आपदा में जीवित बचे लोगों ने दी है।
भयंकर आपदा से आहत उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने बताया कि यह एक ऐसी त्रासदी है जिसकी तीव्रता ने मुझे स्तब्ध कर दिया है। बहुगुणा ने कहा कि केदारनाथ के रास्ते में 18 किलोमीटर का पहाड़ी रास्ता ध्वस्त हो गया है और कम से कम एक वर्ष तक तीर्थयात्रा संभव नहीं है।
खबरों के अनुसार केदारनाथ मंदिर के आसपास भारी तबाही का मंजर देखा गया लेकिन मंदिर सुरक्षित है। बाढ़ में सबसे ज्यादा तबाही केदारनाथ में ही हुई है। इस प्राकृतिक हादसे में कई सौ लोग अब भी लापता हैं और युद्धस्तर पर बचाव अभियान का कार्य जारी है। बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष और श्रीनगर के विधायक गणेश घौडियाल ने श्रीनगर (उत्तराखंड) से फोन पर बताया कि मंदिर के भीतर कोई नुकसान नहीं हुआ है। लिंग पूरी तरह सुरक्षित है, लेकिन बाहर जमा मलबे का रेत और पानी मंदिर के भीतर घुस गया है। मंदिर के आसपास कुछ नहीं बचा। मंदिर समिति का कार्यालय, धर्मशालाएं और भंडार गृह सब नष्ट हो गया है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने बाढ़ की आपदा को अभूतपूर्व और ‘हिमालयी सुनामी’ की संज्ञा दी और कहा कि बहुत बड़ी संख्या में लोगों के हताहत होने की आशंका है और मैं बिना उचित सर्वेक्षण के सही-सही संख्या नहीं बता सकता।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस तबाही में मारे गए लोगों के परिजनों में से हर एक को दो लाख रुपये और घायलों में से हर एक को 50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी। ये राशि प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत फंड से जारी होगी। इसके अलावा इसी फंड से उन लोगों को एक एक लाख रुपये की आर्थिक मदद दी जाएगी, जिनके मकान पूरी तरह ध्वस्त हो गए हैं जबकि जिनके मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं, उन्हें पचास पचास हजार रुपये की आर्थिक मदद मिलेगी।
सिंह ने कहा कि उन्होंने सभी केंद्रीय एजेंसियों को निर्देश दिया है कि राज्य को स्थिति से निपटने के लिए हरसंभव मदद दी जाए। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार पूरे समन्वय से कार्य जारी रखेंगी ताकि सुनिश्चित हो कि प्रभावित लोगों को तत्काल राहत के लिए हरसंभव प्रयास हों और उन्हें अपना जीवन नए सिरे से जीने में भी मदद मिले। प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार ने इस त्रासदी के फौरन बाद स्थिति से निपटने के लिए हरसंभव संसाधन लगाए।
सिंह ने बताया कि सेना के लगभग 5500 जवान और अधिकारी, सीमा सड़क संगठन के 300 कार्मिक और भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के 600 कर्मी राहत और बचाव कार्यों में लगे हैं। राष्ट्रीय आपदा रेस्पांस बल (एनडीआरएफ) के 13 दल भी अभियान में लगाए गए हैं। वायुसेना ने 18 हेलीकाप्टर और एक सी-130 विमान बचाव कार्य में लगाया है। राज्य सरकार ने निजी हेलीकाप्टर भी इस कार्य में लगाए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में बड़े पैमाने पर तबाही हुई है। इस त्रासदी में मारे गए लोगों के परिजनों और घायलों के प्रति सहानुभूति व्यक्त करते हुए सिंह ने कहा कि जान माल का जितना नुकसान हुआ है या इमारतों, सड़कों और अन्य बुनियादी ढांचे को जो क्षति पहुंची है, उसका आकलन करने में कुछ और वक्त लगेगा। इस समय अधिकारियों की प्राथमिकता बाढ में फंसे लोगों को सुरक्षित निकालना और उन्हें राहत पहुंचाना है।
सिंह ने राज्य में हुई तबाही को अत्यंत दु:खद बताते हुए कहा कि ताजा आकलन के अनुसार 102 लोगों की जान गई है। ऐसी आशंका है कि मारे गए लोगों की संख्या और अधिक होगी। अब तक 10 हजार से अधिक लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया है और उन्हें खाना, कपड़ा एवं शरण दी जा रही है। कई लोग अभी भी बाढ़ में फंसे हुए हैं। सबसे अधिक नुकसान केदारनाथ और उसके आसपास के इलाकों में हुआ है। उन्होंने कहा कि तात्कालिक आवश्यकता राहत और बचाव अभियान की है और सरकार इसमें कोई कोर कसर बाकी नहीं रखेगी।
उधर, मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कहा कि फिलहाल अनेक जगहों पर फंसे हुए लोगों को बचाने और उन्हें खाने के पैकेट तथा दवाइयां बांटने का काम प्राथमिकता से किया जा रहा है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि फंसे हुए लोगों को सुरक्षित निकालने के बाद मलबे और कीचड़ में से शवों को निकालने का काम शुरू किया जाएगा। केदारनाथ वन्यजीव अभयारण्य से भी आठ और शव निकाले गए हैं। उधर, आईटीबीपी तथा सेना के जवानों ने रद्रप्रयाग तथा चमोली जिलों में फंसे हुए 2,700 तीर्थयात्रियों को बचाया है।
बहुगुणा ने बताया कि रूद्रप्रयाग सबसे बुरी तरह प्रभावित जिला है और अचानक आई बाढ़ में उत्तराखंड में 500 सड़कें और पुल बह गए हैं। केदारनाथ में दो हेलिपैडों में से एक बाढ़ के पानी में बह गया है। इसके कारण हेलिकॉप्टरों को एक हेलिपैड से ही लोगों को बचाने के लिए उड़ान भरनी पड़ रही है। मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं से कहा कि तबाही का आकलन नहीं किया जा सका है क्योंकि इस तरह की बाढ़ विगत 100 वर्षों में पहली बार आई है। गौरीकुंड और केदारनाथ के बीच सड़कें बह गई हैं। बहुगुणा ने कहा कि अनेक सड़कों की हालत खराब है जिसके कारण सेना के जवान और अर्धसैनिक बल फंसे हुए पर्यटकों और तीर्थयात्रियों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं।
उत्तराखंड के प्रधान सचिव (गृह) ओम प्रकाश ने कहा कि राज्य में इस आपदा में मृतकों की संख्या 150 तक पहुंच गई है लेकिन हताहतों की बिल्कुल सही संख्या बता पाना अभी संभव नहीं है क्योंकि चमोली और रद्रप्रयाग जिलों के अनेक गांवों में कई क्षेत्र पानी में डूबे हुए हैं। राज्य और केंद्र की सरकारों ने आपदा के तत्काल बाद हालात से निपटने के लिए हरसंभव संसाधनों का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। राहत और बचाव कार्यों में सेना के करीब 5,500 जवान और अधिकारी, सीमा सड़क संगठन के 3,000 जवान और आईटीबीपी के 600 जवान लगे हुए हैं।
First Published: Wednesday, June 19, 2013, 18:22