बंधक संकट: ओडिशा और केंद्र को नोटिस - Zee News हिंदी

बंधक संकट: ओडिशा और केंद्र को नोटिस

ज़ी न्यूज ब्यूरो/एजेंसी
नई दिल्ली : ओडिशा में अपह्त विधायक झीना हिकाका की रिहाई के बदले नक्सलियों को रिहा करने से प्रदेश सरकार को रोकने की मांग करने वाली जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आज ओडिशा सरकार और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने नक्सलियों की रिहाई के मसले पर सरकारों से 2 हफ्ते में जवाब मांगा है। यह याचिका रिटायर्ड मेजर जनरल गंगुरदीप बख्शी ने दायर किया था।

 

सुप्रीम कोर्ट ने बंधक बनाए गए बीजद विधायक झिना हिकाका को छुड़ाने के बदले जेल से माओवादियों की रिहाई पर रोक लगाने की मांग करने वाली एक याचिका पर आज केंद्र और ओडिशा सरकार से जवाब मांगा है।
न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर और न्यायमूर्ति ज्ञान सुधा मिश्रा की पीठ ने प्रतिवादियों को दो सप्ताह के अंदर जवाब दाखिल करने को कहा है। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट ने मेजर जनरल (सेवानिवृत) गांगुरदेप बख्शी की याचिका पर दिया गया है।

 

याचिकाकर्ता ने कहा था कि अपहृत विधायक की रिहाई का रास्ता सुगम बनाने के लिए राज्य सरकार पहले ही पांच माओवादियों को रिहा कर चुकी है। सवालों का जवाब देते हुए बख्शी के वकील ने कहा कि माओवादियों की रिहाई के लिए जमानत अर्जी उनके समर्थकों द्वारा दायर की गई है और राज्य सरकार ने उसका विरोध नहीं करने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि पूरी कवायद सरकार और माओवादियों के बीच साठगांठ का हिस्सा है।

 

कोर्ट ने कहा कि इस चरण में, ‘यदि ऐसा है तो हमारे हस्तक्षेप की गुजाइंश बहुत सीमित है। लेकिन आप मजिस्ट्रेट की अदालत में जा सकते हैं और चुनौती दे सकते हैं।’ हालांकि बख्शी के वकील ने इस बात पर बल दिया कि इस मुद्दे पर कम से कम राज्य और केंद्र को नोटिस तो भेजा जाए, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट मान गई।
कोर्ट में मौजूद सॉलीसिटर जनरल रोहिनटन एफ. नरीमन ने कहा कि माओवादियों के उग्रवाद से निबटने के लिए कानून बनाने संबंधी याचिकाकर्ता का अनुरोध एक वृहत मुद्दा है और वह मौजूदा संकट के लिए प्रासंगिक नहीं है। हालांकि पीठ ने कहा कि चूंकि केंद्र एक प्रासंगिक पार्टी है, ऐसे में वह केंद्र सरकार और ओडिशा सरकार दोनों को ही नोटिस जारी करना चाहेगी। उल्लेखनीय है कि 24 मार्च को कोरापुट जिले से हिकाका का अपहरण कर लिया गया था। वह एक राजनीतिक बैठक से लौट रहे थे।

 

आतंकवाद निरोधक अभियान विशेषज्ञ बख्शी ने शीर्ष अदालत से कहा कि राज्य सरकार को माओवादियों को रिहा करने से रोका जाना चाहिए क्योंकि सुरक्षाबलों ने अपनी जान की बाजी लगाकर इन माओवादियों को पकड़ा था।

First Published: Friday, April 20, 2012, 00:38

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