`बजट में समावेशी विकास की दृष्टि का अभाव`

`बजट में समावेशी विकास की दृष्टि का अभाव`

नई दिल्ली : वित्त मंत्री पी. चिदंबरम की ओर से गुरुवार को लोकसभा में पेश वर्ष 2013-14 के आम बजट को आंकड़ों की बाजीगरी करार देते हुए माकपा ने कहा कि बजट से न तो विकास होगा और ही अर्थव्यवस्था को समावेशी बनाया जा सकेगा।

माकपा के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी ने संसद भवन परिसर में संवाददाताओं से कहा कि पूरा बजट आंकड़ों की बाजीगरी पर आधारित है। इसमें ऐसा कुछ भी नहीं है जो अर्थव्यवस्था को विकास के मार्ग पर आगे बढ़ाने वाला या उसे समावेशी बनाने वाला हो। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष खर्च को कम करके घाटे को व्यवस्थित किया गया था लेकिन इस बजट में ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे घाटा नियंत्रित हो सके।

येचुरी ने कहा कि बजट में वित्त मंत्री ने यह मान लिया है कि कर राजस्व बढ़ेगा लेकिन यह पुर्वानुमान पूरी तरह से अवास्तविक है जिसे हासिल नहीं किया जा सकता है। माकपा नेता ने कहा कि जल्द ही हमें संसद में अनुदान की अनुपूरक मांग देखने को मिल सकती है। उन्होंने कहा कि बजट में कुछ खर्च में 12 प्रतिशत वृद्धि की बात कही गई है जबकि मुद्रास्फीति 10 प्रतिशत है। ऐसे में वास्तविक वृद्धि महज दो प्रतिशत ही है।

येचुरी ने कहा कि ऐसी स्थिति में पहले से ही परेशान आम लोगों पर और भार बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि खाद्य सब्सिडी की बात जोर शोर से की गई लेकिन इस मद में मात्र 10 हजार करोड़ रूपये की अतिरिक्त वृद्धि का प्रस्ताव किया गया है। इतना खर्च तो एफसीआई गोदामों में उत्पाद के रखने पर ही हो जायेगा। बजट में किसानों के लिए कुछ खास नहीं है। (एजेंसी)

First Published: Thursday, February 28, 2013, 16:40

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