Last Updated: Friday, November 4, 2011, 16:50
कान (फ्रांस) : तृणमूल कांग्रेस द्वारा समर्थन वापस लेने की धमकी को नजरअंदाज करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शुक्रवार को एक तरह से पेट्रोल कीमतों में वृद्धि को उचित ठहराते हुए कहा कि इस मामले में बाजार को अपने हिसाब से चलने देना चाहिए। प्रधानमंत्री के कहने का मतलब यह है कि ईंधन की कीमतें बाजार ही तय करेगा। इसपर सरकार कुछ नहीं कर सकती है।
जी-20 शिखर सम्मेलन के बाद संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि बाजार को अपने हिसाब से चलने देना चहिए। उन्होंने कहा, ‘यह (मूल्य नियंत्रण) वह सामान्य दिशा है जिस पर हमें आगे बढ़ना है। मुझे लगता है कि कीमतों को नियंत्रणमुक्त किए जाने का कदम इसी प्रक्रिया का हिस्सा है।’
सिंह ने कहा, ‘जैसा कि मैं कह रहा हूं, ये काफी संवेदनशील क्षेत्र हैं और मुझे यह कहने में हिचकिचाहट नहीं है कि अंतत: हमें बाजार को अपना स्तर तय करने की अनुमति देनी होगी, सिर्फ उन जिंसों को छोड़कर जो अर्ध सार्वजनिक वस्तुएं हैं।’ उनसे पूछा गया था कि देश में पेट्रोल की कीमतों में 1.80 रुपए प्रति लीटर की वृद्धि का जोरदार विरोध हो रहा है। यहां तक कि ममता बनर्जी की अगुवाई वाली तृणमूल कांग्रेस ने इस मुद्दे पर संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार से समर्थन वापस लेने की धमकी तक दी है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘ऐसे में दिशा स्पष्ट है। हमें कीमतों को नियंत्रणमुक्त करने की दिशा में निश्चित रूप से बढ़ना होगा।’ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का यह बयान इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है कि पेट्रोल कीमतों में वृद्धि का देशभर में विरोध हो रहा है। पेट्रोल कीमतें जहां नियंत्रणमुक्त हैं, वहीं डीजल, एलपीजी और केरोसिन के मूल्य अभी भी सरकार के नियंत्रण में हैं।
एक सवाल के जवाब में सिंह ने कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति समस्या है। प्रधानमंत्री ने कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति का विश्लेषण करते समय शुद्ध आय में सालाना आठ फीसदी की वृद्धि तथा आबादी में 1.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।
(एजेंसी)
First Published: Saturday, November 5, 2011, 11:12