Last Updated: Thursday, August 25, 2011, 06:38
नई दिल्ली. देश में भले ही बेरोजगारी दिखती हो लेकिन आप इन आंकड़ों पर गौर करेंगे तो पता चलेगा कि सरकार की अनदेखी के कारण पद खाली रहने के बावजूद नियुक्ति नही हो रही है.
भारत में सबसे ज्यादा प्रतिष्ठित माने जाने वाली केंद्र सरकार की नौकरियों में 10 लाख से ज्यादा पद खाली हैं. इनमें अकेले पुलिस और रक्षा बल की रिक्तियां शामिल हैं जिसमें करीब 7 लाख पद खाली पड़े हुए हैं. रोजगार की सुरक्षा, विश्वसनीयता व मुदास्फीति से जुड़ी सैलरी और पेंशन स्कीम के चलते इन नौकरियों को बेहतर माना जाता है.
इतना ही नहीं डॉक्टर, वैज्ञानिक और अर्थशास्त्री जैसे पेशेवरों के कई पद भी खाली हैं. अगर इन्हें भरा नहीं गया तो निकट भविष्य में भारत के विकास दर को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है.
एनएसएसओ के हालिया सर्वे के मुताबिक, 2004-05 और 2009-10 के बीच भारत के वर्कफोर्स यानी वह आबादी जिसमें काम करने वाले लोगों की संख्या होती है, में सिर्फ 20 लाख की बढ़ोतरी हुई है. इससे कहा जा रहा है कि विकास के मुताबिक रोजगार का विस्तार नहीं हुआ है. अगर सरकार ने खाली पड़े इन 10 लाख जगहों को भरा होता तो यह आंकड़ा 50 फीसदी बेहतर दिखता. सही जॉब के लिए सही व्यक्ति पाने में नाकाम रहने की एक वजह कौशल की कमी भी है. नौकरी करने वाले योग्य लोगों की कमी के चलते भारत के सबसे बड़े रोजगार क्षेत्र यानी सरकार मानव संसाधन संकट की तरफ बढ़ रही है.
वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ' ज्यादातर मंत्रालयों और विभागों में जरूरत से कम लोग हैं. नियुक्ति की कोशिशों के बावजूद खाली जगहों को भरने की रफ्तार पर्याप्त नहीं है. स्पेशलाइज्ड नॉलेज वाले लोग कम हैं और निजी क्षेत्र से ज्यादा सैलरी की पेशकश की जाती है. उन्होंने कहा कि हमने जरूरत पूरी करने के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर निजी क्षेत्र के लोगों की भर्ती करने पर ध्यान दिया है, लेकिन यह भी बहुत मुश्किल है.
नौकरियों के लिए सरकार ऊंची योग्यता और गैर-जरूरी शर्तें थोप देती है, जिनके लिए ज्यादा कौशल की जरूरत नहीं है. वरीयताक्रम को लेकर सख्ती है और निजी क्षेत्र के मुकाबले सरकारी नियुक्ति के नियमों पर लालफीताशाही हावी है
संसद में पूछे जाने पर स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद और रक्षा मंत्री ए. के. एंटनी ने लोगों को भर्ती करने में विफलता को इसका बड़ा कारण बताया. योजना आयोग के तहत आने वाले ऑफ इंस्टिट्यूट ऑफ एप्लायड मैनपावर रिसर्च के डायरेक्टर जनरल संतोष मेहरोत्रा का मानना है कि कुशल पेशेवरों के अभाव से राष्ट्रीय संकट बन सकता है.
First Published: Thursday, August 25, 2011, 17:54