Last Updated: Thursday, February 14, 2013, 22:19

नई दिल्ली : भारत और फ्रांस ने करीब छह अरब डॉलर के सतह से हवा में मार करने वाली कम दूरी की मिसाइलों के सौदे पर वार्ता गुरुवार को पूरी कर ली जबकि देश को राफेल लड़ाकू विमानों की आपूर्ति के 10 अरब डॉलर के सौदे पर बातचीत भी आगे बढ़ी है। सतह से हवा में मार करने वाली इन मिसाइलों का भारतीय वायुसेना और नौसेना द्वारा उपयोग किया जाएगा।
भारत के दौरे पर आए फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांसवा ओलोंद और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बीच बातचीत के बाद इन दो बड़े रक्षा सौदों पर घोषणा की गई। प्रधानमंत्री ने कहा कि रक्षा संबंध ‘गुणात्मकता से’ नये स्तर पर पहुंचने की तैयारी में हैं।
सिंह ने रक्षा सहयोग की प्रगति पर संतोष जताते हुए कहा कि एमएमआरसीए (राफेल) अनुबंध पर विचार-विमर्श सही दिशा में बढ़ रहा है। हमने सतह से हवा में मार करने वाली कम दूरी की मिसाइल पर वार्ता भी पूरी की। सरकार से मंजूरी पा चुकी यह मिसाइल भारत में फ्रांस के सहयोग से विकसित और निर्मित होनी है।
संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए ओलोंद ने आश्वासन दिया कि नियमों के अनुसार ही कारोबार किया जाएगा और प्रतिस्पर्धा तथा स्पष्टता के आधार पर चुनाव किया जाएगा।
ओलोंद ने कहा कि मैं यहां प्रतिबद्धता जाहिर करता हूं कि कारोबार हमारे नियमों के आधार पर होना चाहिए और प्रतिस्पर्धी तथा स्पष्टता के आधार पर चुनाव किया जाना चाहिए। भ्रष्टाचार के क्षेत्र में, हम भारत की तरह सतर्क हैं क्योंकि यह जरूरी सिद्धांत है।
ओलोंद से यह पूछा गया था कि क्या वह भारत को आश्वासन दे सकते हैं कि अगस्ता वेस्टलैंड के वीवीआईपी हेलीकाप्टरों की आपूर्ति में घोटाले के बीच सबसे बड़े रक्षा सौदों में से एक राफेल के सौदे में कोई बिचौलिया या किसी तरह की रिश्वत नहीं होगी।
विस्तृत बातचीत के बाद, नेताओं ने कहा कि कई द्विपक्षीय, क्षेत्रीय, रक्षा संबंधों, असैन्य परमाणु सहयोग, आतंकवाद निरोधक उपाय और माली में स्थिति सहित कई आपसी हितों वाले विषयों पर दृष्टिकोण साझा किए गए।
सिंह ने कहा कि भारत द्विपक्षीय यात्रा के लिए ओलोंद का पहला एशियाई लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि यह दोनों देशों के बीच इस संबंध के महत्व को परिलक्षित करता है।
सिंह ने वार्तालाप के बाद संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि राष्ट्रपति ओलोंद और मैंने कई द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और समान हितों वाले महत्वपूर्ण मुद्दों पर दृष्टिकोण साझा किये। हमने जैतापुर परमाणु बिजली परियोजना की प्रगति की समीक्षा की और इसको जल्द से जल्द पूरा करने की प्रतिबद्धता दोहराई तथा अच्छी प्रगति करने वाली तकनीकी एवं व्यावसायिक वार्ता पूरी हो गई है।
तीस हजार करोड़ रुपए की एसआर-एसएएम परियोजना भारत और फ्रांस का सह विकसित संयुक्त उपक्रम है और इसे भारत के डीआरडीओ तथा फ्रांस के एमबीडीए द्वारा विकसित किया जाएगा। सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल रक्षा प्रणाली को भारतीय वायुसेना और नौसेना द्वारा तैनात किया जाएगा।
एक संयुक्त बयान में कहा गया कि सुरक्षा और आतंकवाद निरोधक क्षेत्रों में भारत और फ्रांस एक दूसरे का सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
बयान में कहा गया कि दोनों पक्षों ने माना कि आतंकवाद अफगानिस्तान की सुरक्षा और स्थिरता के लिए सबसे बड़ा खतरा है और इससे असरदार तरीके से निबटने के लिए क्षेत्र के देशों द्वारा संयुक्त प्रयासों और मदद की जरूरत है जिसमें आतंकवाद के सुरक्षित पनाहों का खात्मा सहित अन्य कदम शामिल हैं।
बयान में कहा गया कि दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि पाकिस्तान को मुंबई आतंकी हमले के साजिशकर्ताओं को शीघ्रता से न्याय के कटघरे में खड़ा करने की प्रतिबद्धता का पालन करना चाहिए।
दोनों नेताओं ने माली में आतंकवाद को पछाड़ने के उददेश्य वाले प्रयासों को अपना समर्थन दोहराया। यह पूछे जाने पर कि क्या बैठक के दौरान फ्रांस में पगड़ी पर प्रतिबंध का मुद्दा उठा, सूत्रों ने कोई टिप्पणी करने से इंकार कर दिया। (एजेंसी)
First Published: Thursday, February 14, 2013, 22:19