Last Updated: Saturday, September 29, 2012, 18:26
नई दिल्ली : जीवनशैली में तेजी से बदलाव ने पूरे विश्व में उम्रदराज लोगों में हृदय रोग की वृद्धि देखी गई है लेकिन भारत में मामला कुछ अलग है। भारत में हृदय की बीमारी से पीड़ित मरीजों में लगभग 25 प्रतिशत लोगों की उम्र 40 से कम है।
आज विश्व हृदय दिवस पर हृदय रोग विशेषज्ञों ने हृदय संबंधी बीमारियों पर चिंता जताते हुए वृहद स्तर पर जागरूकता फैलाने पर जोर दिया। इसके लिए धुम्रपान छोड़ने, चिकित्सकों से नियमित सलाह लेने और चिंतामुक्त रहने जैसी आासान सलाह दी गई। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में हर वर्ष 60,000 से 90,000 बच्चे हृदय रोग के शिकार हो सकते हैं।
अपोलो अस्पताल के अध्यक्ष प्रताप सी. रेड्डी ने बताया कि चिकित्सकों का मानना है कि हृदय संबंधी बीमारियों को लेकर भारतीयों में पश्चिमी देशों के लोगों की अपेक्षा इससे ग्रसित होने की संभावना चार गुना ज्यादा है। महिलाओं में भी 50 साल से अधिक की उम्र में इसकी संभावना ज्यादा हो सकती है।
मैक्स अस्पताल के एक अन्य हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. के.एस. डागर ने जन्मजात हृदय रोग को रोकने पर जोर देते हुए कहा कि देश में करीब 60,000 से 90,000 बच्चों में हृदय रोग की संभावना देखी गई है जिनमें से केवल 15,000 से 20,000 बच्चों को ही उपचार मिल रहा है। उन्होंने सुझाव दिया कि 16 से 20वें सप्ताह की गर्भवती महिलाओं की एक विशेष तरह की जांच की जानी चाहिए जिसके दौरान चिकित्सक यह जान सकेंगे कि बच्चे को हृदय संबंधी बीमारी है अथवा नहीं। (एजेंसी)
First Published: Saturday, September 29, 2012, 18:26