Last Updated: Friday, March 2, 2012, 17:28
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार के उस आरोप को शुक्रवार को सिरे से खारिज कर दिया जिसके तहत कहा गया था कि मानवाधिकार के मुद्दे पर उसे ‘चुनिंदा’ तरीके से निशाना बनाया गया है जबकि अन्य राज्यों में कथित मुठभेड़ के मामले से निपटने में यह मानदंड नहीं अपनाया गया।
न्यायमूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई की सदस्यता वाली एक पीठ ने कहा, ‘आप अन्य राज्यों से मानवाधिकार उल्लंघन के इस तरह के मामले लाइए। आप पाएंगे कि हम इसी तरह की मुस्तैदी दिखाते हैं।’ गुजरात के अतिरिक्त महाधिवक्ता तुषार मेहता ने दलील दी कि कि कोर्ट को अन्य राज्यों में मानवाधिकार उल्लंघन और मुठभेड़ में होने वाली हत्याओं के मामलों की सुनवाई में इसी तरह की व्यग्रता दिखानी चाहिए।
कोर्ट ने 12 मार्च तक इंतजार करने की गुजरात सरकार की याचिका भी नामंजूर कर दी। इसके लिए यह आधार दिया गया था कि निगरानी प्राधिकार के लिए अध्यक्ष की नियुक्ति से जुड़े मुद्दे का हल करने की वह कोशिश कर रहा है। मेहता ने दलील दी, ‘हमारे पास कुछ विचार है और 12 मार्च तक इंतजार करिए, हम एक हलफनामा दाखिल करेंगे।’ हालांकि, पीठ ने कहा, ‘हम इस स्तर पर हलफनामा दाखिल करने की इजाजत नहीं देंगे।’
(एजेंसी)
First Published: Friday, March 2, 2012, 22:58