Last Updated: Thursday, December 29, 2011, 02:32
ज़ी न्यूज ब्यूरो नई दिल्ली : लोकपाल विधेयक के लोकसभा से पारित होने के बाद संसद के उच्च सदन यानी राज्यसभा में गुरुवार सुबह पेश किया गया। प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री वी. नारायण सामी ने बिल को पेश किया। सुबह 11 बजे से इस मसले पर जोरदार बहस शुरू हुई, जो खबर लिखे जाने तक जारी है।कई दलों के नेताओं ने बहस में अपने पक्ष रखे। इस बात की संभावना है कि देर शाम वोटिंग के जरिए इसे पास कराया जाएगा।
लोकपाल विधेयक में संशोधन के लिए विपक्ष की ओर से 173 संशोधन पेश किए गए हैं। विधेयक पेश करते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री वी. नारायणसामी ने कहा कि यह विधेयक संसद की भावना के अनुरूप है। उन्होंने कहा कि लोकपाल में नौ सदस्य होंगे जिनमें 50 प्रतिशत न्यायपालिका के होंगे। इसी के साथ इसमें अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यकों और महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण होगा।
लोकसभा में यह विधेयक मंगलवार को पारित हो गया था। इसके बाद विधेयक के संशोधित संस्करण पर बुधवार सुबह राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील की मंजूरी ली गई। विधेयक में चूंकि सरकार ने संशोधन किए थे, इसलिए राज्यसभा में पेश करने के लिए राष्ट्रपति की मंजूरी आवश्यक थी। बुधवार दिनभर बिल को राज्यसभा में पेश करने को लेकर ऊहापोह की स्थिति बनी रही और दोपहर बाद संसदीय कार्य मंत्री ने बताया कि बिल को गुरुवार को पेश किया जाएगा।
संसदीय कार्य राज्यमंत्री राजीव शुक्ला ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि लोकपाल और लोकायुक्त विधेयक 2011 को गुरुवार को राज्यसभा में पेश किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्यसभा में गुरुवार को इस पर चर्चा होगी।
इससे पहले, संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल ने संसद भवन के बाहर संवाददाताओं से कहा कि उम्मीद है कि लोकपाल व लोकायुक्त विधेयक, 2011 बुधवार दोपहर राज्यसभा में पेश किया जाएगा। सरकार ने लोकसभा में पारित संशोधित विधेयक को राष्ट्रपति के हैदराबाद आवास पर उनकी मंजूरी के लिए भेजा था।
राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील ने संशोधित लोकपाल विधेयक को मंजूरी दे दी। इसके साथ ही इसे राज्यसभा में पेश किए जाने का मार्ग प्रशस्त हो गया। राष्ट्रपति भवन की प्रवक्ता अर्चना दत्त ने यहां बताया कि राष्ट्रपति ने संशोधित लोकपाल विधेयक को स्वीकृति दे दी है। राष्ट्रपति इस समय हैदराबाद में हैं। मंगलवार को लोकसभा में इस विधेयक के पारित होने के बाद सरकार ने इसे राष्ट्रपति के पास भेज दिया था।
लोकपाल विधेयक पर कई आपत्तियां उठाने वाली भाजपा कुछ हद तक नरम पड़ी क्योंकि सरकार राज्यों को लोकायुक्त स्थापित करने का विकल्प देने, प्रधानमंत्री के खिलाफ जांच की अनुमति देने के लिए तीन चौथाई सदस्यों की सहमति को दो तिहाई में तब्दील करने और सांसदों के संबंध में लोकसभा अध्यक्ष तथा राज्यसभा के सभापति की शक्तियों की रक्षा जैसे आधिकारिक संशोधन के साथ आई है। हालांकि, भाजपा नेताओं ने कहा कि वे बुधवार सुबह अपने रुख की समीक्षा करेंगे क्योंकि पार्टी को लोकपाल ढांचे में अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षण और सीबीआई पर लोकपाल के नियंत्रण जैसे मुद्दों पर अब भी आपत्ति है।
First Published: Thursday, December 29, 2011, 19:12