Last Updated: Friday, September 27, 2013, 21:19
नई दिल्ली : संसद के मानसून सत्र में पारित किये गये भूमि अधिग्रहण विधेयक को आज राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की मंजूरी मिलने के साथ ही यह कानून बन गया है। नया कानून 119 साल पुराने कानून की जगह लाया गया है। कानून मंत्रालय की एक विज्ञप्ति के अनुसार जमीन अधिग्रहण में समुचित मुआवजा एवं पारदर्शिता का अधिकार, पुनर्वास एवं पुनस्र्थापना विधेयक 2012 को राष्ट्रपति की अनुमति मिल गयी है।
इस ऐतिहासिक कानून से किसानों को समुचित एवं जायज मुआवजा मिलेगा जबकि यह सुनिश्चित किया जायेगा कि किसी भी भूमि का बलपूर्वक अधिग्रहण नहीं हो। इस विधेयक को संसद के दोनों सदनों ने भारी बहुमत से पारित किया था।
नये कानून में प्रावधान किया गया है कि सार्वजनिक-निजी भागीदारी वाली परियोजना के लिए कम से कम 70 प्रतिशत भूमि अधिग्रहण एवं निजी कंपनियों द्वारा अधिग्रहीत की जाने वाली 80 प्रतिशत जमीन के लिए सहमति लेना अनिवार्य होगा। इस संबंध में 1894 के पुराने कानून में कई विंगतियां थी। पुराना कानून जमीन के अधिग्रहण से विस्थापित होने वाले लोगों के पुनर्वास एवं पुनस्र्थापन जैसे विभिन्न मुद्दों पर पूरी तरह खामोश था।
इस बीच, ग्रामीण विकास मंत्रालय नये कानून के लिए नियम तय करने की प्रक्रिया में है। ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने कहा कि नियमों को दो माह में अधिसूचित कर दिया जायेगा। उक्त नियमों के बारे में विभिन्न पक्षों से विचार विमर्श करने एवं सुझाव देने के लिए एक परामर्श समिति गठित की जायेगी। (एजेंसी)
First Published: Friday, September 27, 2013, 21:19