Last Updated: Thursday, November 29, 2012, 19:47
लखनऊ : इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनउ पीठ ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा के खिलाफ ‘आम आदमी पार्टी’ के संस्थापक अरविंद केजरीवाल द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच के निर्देश प्रधानमंत्री कार्यालय को देने के आग्रह वाली याचिका पर गुरुवार को शुरुआती सुनवाई के बाद अपना आदेश सुरक्षित कर लिया।
न्यायमूर्ति उमानाथ सिंह तथा न्यायमूर्ति वीरेन्द्र कुमार दीक्षित की खंडपीठ के समक्ष स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर की इस याचिका पर सुनवाई हुई। केंद्र सरकार की तरफ से पेश अतिरिक्त सालीसिटर जनरल मोहन पाराशरन ने दलील दी कि यह याचिका खारिज किये जाने योग्य है, क्योंकि यह महज मीडिया की खबरों पर आधारित है और जब तक याचिका सम्बन्धी तथ्यों को साबित नहीं कर दिया जाता, तब तक इन्हें सच नहीं माना जा सकता। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि याची को यह याचिका दायर करने का कोई हक नहीं है।
उधर, केंद्र सरकार के इस तर्क का जवाब देते हुए याचिकाकर्ता के वकील अशोक पाण्डेय का कहना था कि जब केन्द्र अपनी आपत्ति में इसे दो लोगों (वड्रा और डीएलएफ कंपनी) के बीच का मामला बता रहा है तो फिर इसमें इतनी जल्द पैरवी क्यों की गई, जबकि बड़ी संख्या में अन्य मामले लंबित हैं।
याचिकाकर्ता के वकील ने अपनी दलीलों में यह भी आरोप लगाया कि यह मामला बड़े लोगों से सम्बन्धित है। लिहाजा याची के नौ अक्तूबर 2012 के प्रत्यावेदन में प्रस्तुत तथ्यों की बाबत सक्षम प्राधिकारियों से जांच कराने के निर्देश प्रधानमंत्री कार्यालय को दिए जाने चाहिए। (एजेंसी)
First Published: Thursday, November 29, 2012, 19:47