Last Updated: Sunday, November 18, 2012, 00:04

मुम्बई/नई दिल्ली : राजनीति में हिंदू राष्ट्रवाद और क्षेत्रीयता की अपनी हनक के लिए चर्चित शिव सेना प्रमुख बाल केशव ठाकरे का शनिवार को निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार रविवार शाम शिवाजी पार्क के समीप होगा। ठाकरे ने अपने निवास, मातोश्री में अपराह्न् 3.30 बजे अंतिम सांस ली। वह 86 वर्ष के थे।
अंतिम संस्कार से पहले ठाकरे का पार्थिव शरीर आम जनता के अंतिम दर्शन के लिए शिवाजी पार्क में रखा जाएगा। रविवार छुट्टी का दिन होने के कारण शिवाजी पार्क में भारी भीड़ जमा होने की सम्भावना है।
शिव सेना सांसद संजय राउत ने शनिवार शाम संवाददाताओं को बताया, ‘ठाकरे का पार्थिव शरीर फिलहाल मातोश्री में रखा हुआ है। कल सुबह लगभग 7.30 बजे इसे शिव सेना भवन में रखा जाएगा, जहां पार्टी कार्यकर्ता उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। वहां से शव को शिवाजी पार्क ले जाया जाएगा, जहां आम जनता सुबह 10 बजे से ठाकरे को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित कर सकती है।’
राउत ने कहा कि आम जनता सुबह 10 बजे से शाम पांच बजे तक ठाकरे के पार्थिव शरीर का अंतिम दर्शन कर सकती है। बाद में पास में स्थित श्मशान में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
मुम्बई पुलिस, मातोश्री से लेकर दादर स्थित पार्टी मुख्यालय शिव सेना भवन तथा शिवजी पार्क में सुरक्षा के चुस्त बंदोबस्त में जुट गई है।
इसके पहले ठाकरे के चिकित्सक जलील पार्कर ने अपराह्न् 4.55 बजे मातोश्री के बाहर ठाकरे के निधन की घोषणा की। मातोश्री दशकों से महाराष्ट्र में शिव सैनिकों के लिए तीर्थ की तरह रहा है।
ठाकरे की तबियत पिछले कई दिनों से नाजुक बनी हुई थी और उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। मुम्बई के उपनगर बांद्रा स्थित मातोश्री के बाहर उनके समर्थक बड़ी संख्या में पिछले 72 घंटों से जमे हुए थे।
ठाकरे के परिवार में उनके दो पुत्र उद्धव ठाकरे व जयदेव ठाकरे हैं। उद्धव शिव सेना के कार्यकारी अध्यक्ष हैं और जयदेव फिल्म निर्माण से जुड़े हुए हैं। ठाकरे की पत्नी मीना और उनके सबसे बड़े पुत्र बिंदुमाधव का 1996 में ही निधन हो गया था।
किसी समय ठाकरे के राजनीतिक उत्तराधिकारी माने जाने वाले उनके भतीजे राज ठाकरे ने कुछ वर्ष पूर्व उनसे अलग होकर अपनी खुद की क्षेत्रीय पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) बना ली थी।
कार्टूनिस्ट के रूप में अपना करियर शुरू करने वाले ठाकरे हिंदू गुरुओं की तरह गले में रूद्राक्ष की माला धारणा करते थे और बाद में उन्होंने दाढ़ी भी बढ़ा ली थी। उन्होंने अपनी पार्टी शिव सेना को एक स्थानीय मिलीशिया की तरह चलाया। वह अपने पीछे अल्पसंख्यक विरोधी राजनीति की एक जटिल परम्परा भी छोड़ गए हैं, जो देश की आर्थिक राजधानी मुम्बई में रह-रह कर ज्वालामुखी की तरह धधकती रही है।
जीवन के अंतिम समय तक सक्रिय रहे ठाकरे ने अपनी खास शैली की राजनीति से कभी संकोच नहीं किया। अभी कुछ ही दिनों पूर्व उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा था कि भारत और पाकिस्तान के बीच प्रस्तावित क्रिकेट मैच हरगिज न होने दिया जाए।
पार्टी मुखपत्र सामना में प्रथम पृष्ठ पर जारी एक अपील में उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे की उनके बयान के लिए जमकर खिंचाई की थी। शिंदे ने कहा था कि अतीत को भूल जाइए और पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलिए।
ठाकरे लगभग दो वर्षो से बीमार थे और घर पर उनका नियमित इलाज चल रहा था। पिछले सप्ताह उनकी तबियत बिल्कुल नाजुक हो गई।
पार्टी नेताओं के अनुसार, मातोश्री में ही अस्थायी तौर पर एक गहन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) बनाकर चौबीस घंटे उनका गहन इलाज चल रहा था।
अपराह्न् 4.55 बजे निधन की घोषणा के साथ ही पूरे महाराष्ट्र में शोक की लहर दौड़ गई। महाराष्ट्र में कट्टर हिंदूवादी, मराठी राजनीति की हनक के लिए चर्चित ठाकरे ने 1966 में शिव सेना की स्थापना की थी। उनका जन्म 23 जनवरी, 1926 को हुआ था।
शिव सेना प्रमुख के निधन पर समाज के हर वर्ग ने अपनी शोक संवेदना व्यक्त की है।
सबसे पहले कांग्रेस प्रवक्ता राशिद अल्वी ने नई दिल्ली में ठाकरे निधन पर शोक व्यक्त किया और उनके निधन को भारतीय राजनीति की अपूरणीय क्षति बताया।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रवक्ता शहनवाज हुसन ने पार्टी की ओर से शोक संवेदना जाहिर करते हुए कहा कि ठाकरे के निधन से जो रिक्तता पैदा हुई है, उसे कभी भी भरा नहीं जा सकता।
इसके अलावा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज, कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह, उद्योपति राहुल बजाज, राकांपा अध्यक्ष शरद पवार जैसे तमाम लोगों ने ठाकरे के निधन पर शोक संवेदना जाहिर की है।
ठाकरे के निधन की खबर आने के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शनिवार शाम भाजपा और उसके सहयोगी दलों के लिए आयोजित रात्रिभोज रद्द कर दिया। (एजेंसी)
First Published: Saturday, November 17, 2012, 17:01