Last Updated: Saturday, February 9, 2013, 15:43
ज़ी न्यूज़ ब्यूरो/एजेंसीनई दिल्ली : संसद पर वर्ष 2001 में आतंकवादी हमले को अंजाम देने में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों की मदद करने वाले कश्मीरी फल विक्रेता मोहम्मद अफजल गुरु को आज एक बेहद गोपनीय अभियान में सुबह आठ बजे तिहाड़ जेल में फांसी दे दी गई और उसके शव को जेल परिसर में ही दफना दिया गया। गुरु को फांसी दिए जाने के बाद जम्मू कश्मीर समेत कई राज्यों में हाई अलर्ट जारी किया गया है।
उत्तरी कश्मीर में सोपोर का रहने वाला 43 वर्षीय अफजल फांसी के तख्ते पर चढ़ाए जाने के समय बेहद शांत और स्थिर चित्त था। उसे कड़ी सुरक्षा वाली तिहाड़ जेल की तीन नंबर जेल में सुबह आठ बजे फांसी दी गई। छह दिन पहले राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उसकी दया याचिका ठुकरा दी थी।
संसद हमले की साजिश रचने और उसे अंजाम तक पहुंचाने में अपनी भूमिका के लिए मौत की सजा पाने के बाद अफजल एक दशक से जेल में था। एक विशेष अदालत ने दिसंबर 2002 में गुरु को फांसी की सजा सुनायी थी और चार अगस्त 2005 को उच्चतम न्यायालय ने इस सजा को बरकरार रखा था। 13 दिसंबर 2001 को संसद पर हमला करने वाले आतंकवादियों को शरण देने और इस हमले की साजिश रचने के दोषी अफजल के शव को जेल के नियमों के अनुसार जेल परिसर में ही दफना दिया गया।
उधर, अफजल को फांसी की पृष्ठभूमि में तनाव पैदा होने की आशंका के चलते कश्मीर घाटी में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया गया और सुरक्षा बढ़ा दी गई है। जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, पुलिस महानिदेशक अशोक प्रसाद तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी सुबह जम्मू से श्रीनगर पहुंच गए तथा कानून व्यवस्था की स्थिति पर लगातार निगरानी रखी जा रही है।
फांसी दिए जाने के तुरंत बाद गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने संवाददाताओं को बताया कि अफजल गुरु को सुबह आठ बजे फांसी दे दी गई। जेल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सुबह साढ़े सात बजे गुरु को फांसी के तख्ते पर ले जाया गया और वह उस समय वह शांत था।
केंद्रीय गृह सचिव आर के सिंह ने बताया कि अफजल के परिवार को सरकार के फैसले के बारे में बता दिया गया था कि उसकी दया याचिका ठुकरा दी गई है। यह सूचना स्पीड पोस्ट के जरिए दी गयी थी। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने तीन फरवरी को गुरु की दया याचिका नामंजूर कर दी थी।
13 दिसंबर 2001 को हथियारों से लैस पांच आतंकवादियों ने संसद भवन परिसर में घुसकर हमला बोला था । आतंकवादियों द्वारा की गयी अंधाधुंध गोलीबारी में दिल्ली पुलिस के पांच कर्मचारी, सीआरपीएफ की एक महिला कर्मचारी, संसदीय वाच एंड वार्ड के दो कर्मचारी तथा एक माली की मौत हो गयी थी। इस हमले में घायल एक पत्रकार की बाद में मौत हो गयी थी। सुरक्षा बलों ने पांचों हमलावर आतंकवादियों को मार गिराया था। हमले के कुछ ही घंटों के भीतर अफजल को राष्ट्रीय राजधानी में एक बस से गिरफ्तार कर लिया गया था।
गौरतलब है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एस.ए.आर. गिलानी तथा शौकत हुसैन के साथ गुरु को फांसी की सजा सुनायी गई थी। हुसैन की पत्नी अफसां को छोड़ दिया गया था।
गिलानी को हालांकि उच्च न्यायालय ने 2003 में बरी कर दिया जबकि गुरू और हुसैन की सजा बरकरार रखी। उच्चतम न्यायालय ने 2005 में गुरू को सुनायी गयी मौत की सजा की पुष्टि कर दी जबकि हुसैन के मामले में दस साल की कैद की सजा दी गयी। (एजेंसी)
First Published: Saturday, February 9, 2013, 08:23