संसदीय समिति की लोकपाल रिपोर्ट पर मुहर - Zee News हिंदी

संसदीय समिति की लोकपाल रिपोर्ट पर मुहर



ज़ी न्‍यूज ब्‍यूरो/एजेंसी

 

नई दिल्‍ली : संसदीय समिति ने कुछ सदस्यों की असहमति के स्वरों के बीच लोकपाल विधेयक की रिपोर्ट पर बुधवार को मुहर लगा दी। अभिषेक मनु सिंघवी की अध्‍यक्षता वाली संसदीय स्‍टैडिंग कमेटी ने लोकपाल रिपोर्ट को अपनी तरफ से सहमति दे दी। अब लोकपाल विधेयक लोकसभा में 9 दिसंबर को पेश किए जाने की संभावना है।

 

उधर, लोकपाल ड्राफ्ट पर कांग्रेस की तीन सांसदों ने आपत्ति जताई है। तीन कांग्रेसी सदस्यों ने असहमति पत्र पेश करते हुए समूह सी को लोकपाल के दायरे में शामिल करने और सीवीसी को इसके प्रति जवाबदेह बनाने की मांग की।

 

संसद की स्थाई समिति ने लोकपाल विधेयक पर अपनी रिपोर्ट पर मुहर लगाते हुए प्रधानमंत्री को इसके दायरे में लाने का फैसला संसद पर छोड़ा है। समिति में कांग्रेस के सदस्यों ने असहमति नोट देते हुए समूह ‘सी’ के अधिकारियों-कर्मचारियों को भी लोकपाल के दायरे में शामिल करने की मांग की है।

 

भाजपा, बीजद और वामदल के सदस्यों ने असहमति नोट देते हुए प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में कुछ एहतियातों के साथ शामिल करने की मांग की है। कांग्रेस के तीन सदस्यों दीपा दासमुंशी, पीटी थॉमस और मीनाक्षी नटराजन ने बुधवार को समिति की अंतिम बैठक में समूह सी के कर्मचारियों को लोकपाल के दायरे में लाने की मांग करते हुए असहमति नोट दिए।

 

समिति की अंतिम रिपोर्ट से समूह ‘सी’ के कर्मचारियों को लोकपाल के दायरे से बाहर रखा गया है। रिपोर्ट में प्रधानमंत्री के मुद्दे पर तीन विकल्प भी सुझाए गए हैं। इनमें बिना छूट के उन्हें शामिल करना, पद छोड़ने के बाद शामिल करना और राष्ट्रीय सुरक्षा तथा विदेश मामले जैसे मुद्दों को छोड़कर प्रधानमंत्री को इसके दायरे में शामिल करना हैं।

 

समझा जाता है कि समिति के समक्ष भाजपा, बीजद, सपा, कांग्रेस, लोजपा, राजद और वामदलों के सदस्यों की ओर से कुल 16 असहमति नोट दिए गए हैं। कानून एवं न्याय पर संसदीय स्थाई समिति के अध्यक्ष अभिषेक मनु सिंघवी ने बैठक के बाद कहा कि रिपोर्ट संसद में नौ दिसंबर को रखी जा सकती है। सरकार के सूत्रों ने संकेत दिया है कि संसद के शीतकालीन सत्र में लोकपाल विधेयक को पारित किया जा सकता है।

 

इससे पहले, लोकपाल बिल पर संसद की स्थायी समिति ने अपनी फाइनल ड्राफ्ट रिपोर्ट तैयार कर ली। बुधवार को समिति की हुई अंतिम बैठक में इस पर सहमति दे दी। इसके बाद समिति अपनी रिपोर्ट 9 दिसंबर को संसद के सामने रखेगी। समिति ने प्रधानमंत्री को कुछ शर्तों और विकल्पों के साथ लोकपाल के दायरे में लाने का प्रस्ताव रखा है, लेकिन आखिरी फैसला संसद पर छोड़ दिया है।

 

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, प्रधानमंत्री खुद को लोकपाल के दायरे में लाने का प्रस्ताव रख सकते हैं। इससे इतर अन्ना की मांग के विरुद्ध ग्रुप सी और ग्रुप डी के कर्मचारियों को समिति ने लोकपाल के दायरे से बाहर रखा है। राज्यों में इस वर्ग को लोकायुक्त के तहत लाने की सिफारिश इस समिति ने की है।

 

समिति ने सीबीआई पर लोकपाल की निगरानी की बात तो की है लेकिन साथ ही ये भी कहा है कि मामले की जांच के दौरान लोकपाल सीबीआई के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं कर सकता। सिटीजन चार्टर के मसले पर स्थायी समिति के ड्राफ्ट में कहा गया है कि इसके लिए राइट टू सर्विंस एक्ट अलग से लाया जा रहा है।

First Published: Friday, December 9, 2011, 12:42

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