Last Updated: Saturday, February 2, 2013, 19:22

नई दिल्ली : भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने आज कहा कि अब समय आ गया है कि पाकिस्तान में उत्पीड़न के कारण वहां से भाग कर भारत आ रहे अल्पसंख्यकों के लिए शरणार्थी पुनर्वास नीति बनायी जाए। इन लोगों को भारत की नागरिकता दी जानी चाहिए।
पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के हालात पर यहां आयोजित गोष्ठी में सिंह ने कहा कि यदि भाजपा सत्ता में आयी तो हम इस मुद्दे को हल्के में नहीं लेंगे। हम जो कर सकते हैं, करेंगे और अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसका क्या प्रभाव होगा, उसकी चिन्ता नहीं करेंगे।
उन्होंने कहा कि नियंत्रण रेखा की घटना के बाद भारत को पाकिस्तान से अस्थायी तौर पर राजनयिक संबंध खत्म करके इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग को वापस बुला लेना चाहिए था। भाजपा प्रमुख ने कहा कि वह महसूस करते हैं कि पाकिस्तान के खिलाफ जिस तरह की इच्छाशक्ति और दृढता का परिचय देना चाहिए, वह संप्रग सरकार में नहीं है।
उन्होंने कश्मीर के पुंछ सेक्टर में हाल ही घटना का जिक्र किया, जिसमें पाकिस्तानी सैनिकों ने दो भारतीय सैनिकों की हत्या कर दी और उनमें से एक का सिर धड से अलग कर दिया था।
सिंह ने कहा, ‘‘ ऐसा कहने के लिए मुझे माफ कीजिए लेकिन मैं महसूस करता हूं कि भारत को न सिर्फ पाकिस्तान से बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जिस तरह से इसका (घटना का) विरोध करना चाहिए था, वह नहीं किया गया। फिलहाल भारत को कहना चाहिए था कि वह विश्वास बहाली की सभी प्रक्रियाओं को बंद कर रहा है। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि ऐसा हमेशा के लिए करना चाहिए लेकिन फिलहाल ऐसा किया जाना चाहिए था।’’ सिंह ने कहा कि संप्रग सरकार और उसकी नीतियों की विफलता का ही नतीजा है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक सुरक्षित नहीं हैं।
राजनाथ सिंह ने कहा कि पाकिस्तान में जो कुछ भी हो रहा है, वह केवल एशिया की शांति के लिए ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया की शांति के लिए खतरा है । पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की प्रताड़ना पर चिन्ता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि धर्म के आधार पर कोई शांतिपूर्ण और स्थिर राष्ट्र नहीं बनाया जा सकता।
भाजपा प्रमुख ने कहा कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की मदद के लिए भारत को वहां और अधिक वाणिज्य दूतावास खोलने चाहिए। उन्होंने इस बात पर अफसोस व्यक्त किया कि कराची स्थित एकमात्र वाणिज्य दूतावास आईएसआई के दबाव में 1994 में बंद कर दिया गया था। उन्होंने संकेत किया कि हाल ही खबरों से पता चला है कि पाकिस्तानी सेना के पूर्व प्रमुख परवेज मुशर्रफ कारगिल युद्ध के समय 11 किलोमीटर तक भारतीय सीमा में घुस आये थे।
राजनाथ ने कहा कि आगरा शिखर बैठक के दौरान मुशर्रफ ने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ ऐसा बर्ताव किया कि मानो वह (अटल) ही कारगिल युद्ध के लिए जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का गठन इस गलत धारणा पर हुआ है कि हिन्दू और मुस्लिम एक साथ नहीं रह सकते। (एजेंसी)
First Published: Saturday, February 2, 2013, 18:45