सह आरोपी की स्वीकारोक्ति दोषसिद्धि के लिए पर्याप्त नहीं - Zee News हिंदी

सह आरोपी की स्वीकारोक्ति दोषसिद्धि के लिए पर्याप्त नहीं

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि सह आरोपी की स्वीकारोक्ति किसी व्यक्ति को दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त आधार नहीं हो सकती क्योंकि अदालतें इस पर भरोसा करने के लिए बाध्य नहीं हैं।

 

न्यायालय ने यह व्यवस्था हत्या के एक मामले में दो व्यक्तियों को दी गई उम्र कैद की सजा खारिज करते हुए दी।

 

न्यायमूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई की पीठ ने कहा कि सह आरोपी की स्वीकारोक्ति को अदालतें सच तक पहुंचने के लिए सहायता के तौर पर मान सकती हैं लेकिन ऐसा तब ही होगा जब मुख्य सबूत भी इसी दिशा में हों।

 

पीठ ने कहा ‘‘इसीलिए आरोपी के खिलाफ मामले में अदालत सह आरोपी की स्वीकारोक्ति से शुरूआत नहीं कर सकतीं। उन्हें अभियोजन पक्ष के पेश अन्य प्रमाणों से शुरूआत करनी चाहिए।’’

 

न्यायमूर्ति रंजना ने कहा कि पेश सबूत के आधार पर राय कायम करने के बाद, दोष के निष्कर्ष तक पहुंचने के सिलसिले में स्वीकारोक्ति पर विचार की अनुमति है।

 

सत्र अदालत ने आठ फरवरी 1999 को फरीदाबाद के पलवल में एक किसान करतार सिंह की हत्या करने और उसका सामान लूटने की घटना के लिए तीन व्यक्तियों  प्रथम, पांचो और गजराज को दोषी ठहराया था। (एजेंसी)

First Published: Sunday, October 23, 2011, 14:21

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