Last Updated: Monday, January 9, 2012, 07:40
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुख राम को जमानत दे दी। 1993 के दूरसंचार घोटाला मामले में तीन साल की सजा की तामील के लिए सुखराम ने शनिवार को निचली अदालत के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था।
पूर्व नौकरशाह रूनू घोष और हैदराबाद के व्यवसायी पी रामा राव को भी शीर्ष अदालत ने 16 जनवरी तक जमानत पर छोड़ने की इजाजत दे दी। मामले में नियमित जमानत के लिए उनकी याचिकाएं सुनवाई के लिए लगी हैं।
न्यायमूर्ति पी सदाशिवम और जे चेलमेश्वर की पीठ ने सुख राम और उनके दोनो साथियों को जमानत देते हुए कहा कि उन्हें राहत देने के लिए निचली अदालत अपनी तसल्ली के लिए अपेक्षित शर्तें लगाएगी।
तीनों की जमानत याचिका पर शीर्ष अदालत ने सीबीआई को भी नोटिस जारी कर 16 जनवरी तक जवाब देने को कहा।
गत शनिवार को तिहाड़ जेल पहुंचने के बाद सुख राम को दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल के सघन चिकित्सा कक्ष में भर्ती कराया गया क्योंकि डाक्टरों को लगा कि उनकी हालत बिगड़ रही है।
उपरोक्त तीन आरोपियों के लिए क्रमश: वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रमण्यम, हरीश साल्वे और मुकुल रोहतगी ने पैरवी की और अदालत को बताया कि वह पिछले 20 वर्ष से जमानत पर हैं और उनके भाग जाने का कोई खतरा नहीं है। सुखराम की पैरवी करते हुए सुब्रमणियम ने कहा कि पूर्व मंत्री 86 वर्ष के हैं और अदालत को उन्हें जमानत देते समय इस तथ्य को जहन में रखना चाहिए।
दूरसंचार घोटाले में सुखराम और राव को तीन तीन वर्ष और रूनू को दो वर्ष जेल की सजा को बरकरार रखने के दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ तीनों की अपीलों को पांच जनवरी को पीठ ने सुनने से इंकार कर दिया था। शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह सजा के खिलाफ उनकी अपीलों की सुनवाई तभी की जाएगी जब वह हाईकोर्ट के फैसले का पालन करते हुए अपनी सजा की तामील के लिए निचली अदालत में आत्मसमर्पण करेंगे। रूनू और राव ने उसी दिन आत्मसमर्पण कर दिया था।
सुखराम ने हालांकि स्वास्थ्य आधार पर समर्पण से बचने का प्रयास किया और उनके एक वकील ने गत शुक्रवार को अदालत में यह दावा किया कि उनका मुवक्किल कोमा में चला गया है।
हालांकि अगले दिन पूर्व मंत्री एंबुलेंस में अदालत पहुंचे और आत्मसमर्पण किया। इससे पूर्व अदालत ने उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने की चेतावनी दी थी।
अस्पताल की एंबुलेंस में ही जेल पहुंचे सुखराम की हालत बिगड़ गई और उन्हें दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल के सघन चिकित्सा कक्ष में भर्ती कराना पड़ा।
हाईकोर्ट ने पिछले साल 21 दिसंबर को सुखराम, रूनू और घोष की सजा को बरकरार रखा था। तीनों पर मिलीभगत के जरिए दूरसंचार उपकरणों की आपूर्ति का ठेका हैदराबाद की एडवांस्ड रेडियो मास्ट्स को देकर सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने का आरोप है। कंपनी ने दूरसंचार विभाग को घटिया दर्जे के उपकरण अधिक कीमत पर बेचे सुखराम 18 जनवरी 1193 से 16 मई 1996 के बीच नरसिंहा राव सरकार में दूरसंचार मंत्री थे।
(एजेंसी)
First Published: Tuesday, January 10, 2012, 11:11