Last Updated: Sunday, September 29, 2013, 15:03

नई दिल्ली : सेना ने प्रशासनिक सुविधा तथा परिचालन संबंधी जरूरतों के लिए एक रेजीमेंट में एक क्षेत्र से आने वाले लोगों को लिए जाने को उचित ठहराते हुए उच्चतम न्यायालय को बताया कि वह जाति, क्षेत्र, धर्म के आधार पर नियुक्ति नहीं करती।
उच्चतम न्यायालय में दाखिल एक हलफनामे में सेना ने इन आरोपों को गलत बताया है कि वायु सेना और नौसेना से विपरीत, उसके यहां मराठा रेजीमेंट, राजस्थान रेजीमेंट, डोगरा रेजीमेंट, जाट रेजीमेंट आदि में जाति, क्षेत्र और धर्म के आधार पर नियुक्ति के लिए ‘भेदभावपूर्ण वर्गीकरण’ है।
हलफनामे में कहा गया है ‘कानून में कहा गया है कि नियमित सेना में भर्ती के लिए सभी नागरिक योग्य हैं और धर्म, नस्ल, जाति, लिंग, वंश, जन्म स्थान, निवास आदि के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाता।’ सेना ने यह जवाब उच्चतम न्यायालय के उस आदेश की अनुपालना में दाखिल किया है जो न्यायालय ने हरियाणा के रेवाड़ी में रहने वाले एक डॉक्टर आई एस यादव की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया था।
याचिका में भारतीय सेना में जाति, क्षेत्र, धर्म के आधार पर तय भर्ती मानकों को खत्म करने की मांग की गई थी। यादव के अनुसार, सेना में 22 रेजीमेंट हैं जो कि जाति, क्षेत्र, धर्म पर आधारित हैं।
हलफनामे में कहा गया है ‘एक जाति पर आधारित रेजीमेंटों के संदर्भ में याचिकाकर्ता का आकलन गलत है क्योंकि डोगरा, गढ़वाल रायफल्स, मद्रास रेजीमेंट्स जाति से नहीं बल्कि क्षेत्र से परिभाषित होती हैं। ये रेजीमेंट्स विशेष सामाजिक और भाषायी समूहों से बनाई गई हैं जिनमें भर्ती के दौरान जाति का हस्तक्षेप नहीं होता।’
बहरहाल, सेना ने माना कि कुछ रेजीमेंट्स तर्कसंगत वर्गीकरण की तर्ज पर संगठित हैं लेकिन कुल मिला कर भर्ती प्रक्रिया सभी वर्गों के लिए खुली है। हलफनामे में कहा गया है ‘सेना की कुछ रेजीमेंट्स वर्गीकरण की तर्ज पर संगठित हैं क्योंकि सामाजिक, सांस्कृतिक और भाषायी समरूपता को युद्ध जीतने वाले कारक के तौर पर एक ताकत के रूप में देखा जाता है। भाषा और संस्कृति के समान होने से ऑपरेशन निर्बाध संचालित होता है।’
इसमें कहा गया है ‘भर्ती के स्रोत के तौर पर समान क्षेत्र के लोगों का चयन प्रशासनिक सुविधा और आम प्रशिक्षण-परिचालनगत जरूरत के लिए है।’ यादव ने अपने आग्रह में कहा है कि सेना में जाति, धर्म, क्षेत्र के आधार पर भर्ती के लिए ‘भेदभावपूर्ण वर्गीकरण’ है। उन्होंने कहा कि सेना में भर्ती के लिए एक राष्ट्रीय नीति बनाई जानी चाहिए।
उन्होंने कहा ‘भर्ती के लिए जाति, धर्म, क्षेत्र के आधार पर वर्गीकरण नहीं हो सकता। मराठा रेजीमेंट, राजस्थान रेजीमेंट, डोगरा रेजीमेंट, जाट रेजीमेंट आदि विभिन्न रेजीमेंट्स में जाति, क्षेत्र या धर्म के आधार पर विशेष भर्ती नहीं की जा सकती। सेना का यह वर्गीकरण ब्रिटिश विरासत है और इसमें संसद द्वारा बनाए गए किसी कानून की मंजूरी नहीं है।’ (एजेंसी)
First Published: Sunday, September 29, 2013, 15:03