हर साल 1.3 अरब टन भोजन बर्बाद : संयुक्त राष्ट्र

हर साल 1.3 अरब टन भोजन बर्बाद : संयुक्त राष्ट्र

नई दिल्ली : संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक मानव जाति के खपत के लायक एक तिहाई भोजन यानी 1.3 अरब टन भोजन हर साल बर्बाद हो जाता है। इसी के साथ इसके उत्पादन और इसके वितरण में लगने वाली ऊर्जा, पानी और रसायन भी बर्बाद हो जाता है।

`फूड वेस्टेज फुटप्रिंट : इंपैक्ट ऑन नेचुरल रिसोर्सेज` फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन (एफएओ) द्वारा कराया गया यह पहला अध्ययन है, जिसमें पर्यावरण के नजरिए से दुनिया भर में भोजन की होने वाली बर्बाद के प्रभाव का विश्लेषण किया गया है। इसमें खास तौर से पर्यावरण, पानी और भूमि उपयोग तथा जैवविविधता पर पड़ने वाले प्रभाव पर ध्यान दिया गया है।

अध्ययन के मुताबिक हर साल जितने भोजन की बर्बादी होती है उसके उत्पादन में रूस में बहने वाली वोल्गा नदी में साल भर बहने वाले पानी के बराबर पानी की खपत होती है और इससे 3.3 अरब टन ग्रीन हाउस गैस का उत्सर्जन होता है। साथ ही इन भोज्य पदार्थो के उत्पादकों को 750 अरब डॉलर का हर साल नुकसान भी होता है।

एफएओ के महानिदेशक जोस ए ग्रेजियानो डा सिल्वा ने कहा, `हम एक तिहाई भोजन को इस तरह बर्बाद नहीं होने दे सकते, जबकि हर रोज 87 करोड़ लोग भूखे रह जाते हैं।` अध्ययन के मुताबिक जितने भोजन की बर्बाद होती है, उसमें से 54 फीसदी बर्बादी उत्पादन, कटाई या ढुलाई और भंडारण में होती है। जबकि 46 फीसदी बर्बादी वितरण और खपत के दौरान होती है।

एफएओ ने अध्ययन के साथ एक टूल किट भी प्रकाशित की है, जिसमें भोजन श्रंखला के प्रत्येक चरण में होने वाली बर्बादी को रोकने के तरीके सुझाए गए हैं। टूल किट में दुनिया भर की कई परियोजनाओं का विवरण देकर यह बताने की कोशिश की गई है कि किस तरह से राष्ट्रीय और स्थानीय सरकारें, किसान, कारोबारी और उपभोक्ता इस समस्या को दूर करने के लिए कदम उठा सकता है। (एजेंसी)

First Published: Thursday, September 12, 2013, 00:20

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