Last Updated: Saturday, August 24, 2013, 13:47

लखनऊ : विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) की अयोध्या चौरासी कोसी परिक्रमा करने की इजाजत नहीं देने के खिलाफ दायर एक जनहित याचिका को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने शनिवार को खारिज कर दिया।
अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता ने इस परिक्रमा की पिछले सालों से चली आ रही परम्परा का हवाला अपनी याचिका में नहीं दिया है। ऐसे में इसे खारिज किया जाता है।
न्यायमूर्ति लक्ष्मीकांत महापात्र तथा न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार उपाध्याय की खण्डपीठ ने यह फैसला स्थानीय वकील महेश गुप्ता की याचिका पर शुरुआती सुनवाई के बाद दिया।
याचिकाकर्ता का कहना था कि 25 अगस्त से 13 सितम्बर तक साधु-संतों तथा श्रद्धालुओं की चौरासी कोसी परिक्रमा का आयोजन किया गया है जिसकी शुरुआत बस्ती जिले के मखौड़ा नामक जगह से होनी है।
उनका तर्क था कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी स्थान पर त्रेता युग में अयोध्या के राजा दशरथ ने पुत्रयेष्टि यज्ञ किया था, लिहाजा तत्कालीन कौशल प्रदेश में आने वाली अयोध्या की सीमा चौरासी कोस तक फैली थी। ऐसे में श्रद्धालुओं को चौरासी कोसी परिक्रमा बिना किसी बाधा के पूरी करने की इजाजत दी जानी चाहिये।
याचिकाकर्ता ने सरकार द्वारा इस परिक्रमा की इजाजत नहीं दिये जाने को भी कानून की मंशा के खिलाफ बताया था। ज्ञातव्य है कि विहिप ने राज्य सरकार को एक पत्र लिखकर 25 अगस्त से 13 सितम्बर तक साधु-संतों तथा श्रद्धालुओं की चौरासी कोसी परिक्रमा का आयोजन करने की इजाजत मांगी थी लेकिन सरकार ने परम्परा के अनुसार इस अनुष्ठान का समय बीत जाने तथा सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए इसके आयोजन की अनुमति देने से इनकार कर दिया था।
उधर, राज्य सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता बुलबुल गोदियाल ने याचिका का विरोध करते हुए दलील दी कि पिछले 50 साल से 25 अगस्त से 13 सितम्बर के प्रस्तावित समय में इस तरह की चौरासी कोसी परिक्रमा का कोई आयोजन नहीं हुआ है और यह परिक्रमा हर साल चैत्र मास में शुरू होती है।
उन्होंने कहा कि उस हिसाब से यह यात्रा 25 अप्रैल से 28 मई 2013 के बीच होनी चाहिये थी लेकिन अब उसका वक्त बीत चुका है। ऐसे में 25 अगस्त से 13 सितम्बर के बीच प्रस्तावित इस परिक्रमा का आयोजन धार्मिक नहीं बल्कि राजनीतिक उद्देश्य से किया जाना प्रतीत होता है।
गोदियाल ने कहा कि इस परिक्रमा से अयोध्या के विवादित स्थल पर यथास्थिति बनाये रखने के उच्चतम न्यायालय के आदेश का पालन सुनिश्चित कराने में दिक्कत हो सकती है। अपर महाधिवक्ता ने यह तर्क देते हुए याचिका को खारिज किये जाने का आग्रह किया। अदालत ने सुनवाई के बाद याचिका को खारिज कर दिया। (एजेंसी)
First Published: Saturday, August 24, 2013, 13:47