Last Updated: Tuesday, August 6, 2013, 00:55
ज़ी मीडिया ब्यूरो नोएडा : गौतमबुद्ध नगर की एसडीएम (सदर) रहीं आईएएस अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल के निलंबन मामले में सोमवार को बड़ा खुलासा हुआ है। लोकल इंटेलीजेंस की रिपोर्ट के अनुसार, दुर्गा शक्ति का इसमें जिक्र तक नहीं है। इस रिपोर्ट में दूसरे इलाके के एसडीएम का जिक्र है।
गौर हो कि दुर्गा शक्ति को 27 जुलाई को निलंबित कर दिया गया था और इसके पीछे उत्तर प्रदेश सरकार ने कथित तौर पर बिना आवश्यक प्रक्रिया का पालन किए एक निर्माणाधीन मस्जिद की दीवार गिराने का आदेश दिए जाने की वजह बताई थी। अब जो रिपोर्ट सामने आई है, उसके अनुसार जेवर के एसडीएम की मौजूदगी में दीवार ढही थी। लोकल इंटेलीजेंस ने इस मामले में अपनी रिपोर्ट में दुर्गा का जिक्र नहीं किया है।
उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्धनगर में एक मस्जिद की दीवार गिरवाने के आरोप में उपजिलाधिकारी सदर दुर्गाशक्ति नागपाल को निलंबित किए जाने को लेकर मचे बवाल के बीच स्थानीय अभिसूचना इकाई (एलआईयू) द्वारा राज्य सरकार को भेजी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि उस इबादतगाह की दीवार जेवर तहसील के उपजिलाधिकारी की मौजूदगी में ढहाई गई थी और निलंबित की गईं आईएएस अधिकारी उस समय मौके पर मौजूद नहीं थीं।
एलआईयू द्वारा गत 27 जुलाई को गृह विभाग तथा पुलिस महानिदेशक कार्यालय को भेजी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि रबुपुरा थाना क्षेत्र के कादलपुर गांव में स्थानीय मुस्लिमों द्वारा बनाई जा रही एक नई मस्जिद की दीवार को 27 जुलाई को दोपहर एक बजे जेवर के उपजिलाधिकारी, पुलिस क्षेत्राधिकारी तथा रबुपुरा के थानाध्यक्ष ने मौके पर पहुंचकर गिरवाया था। हालांकि रिपोर्ट में किसी अधिकारी का नाम नहीं लिया गया है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि गत कि गत 27 जुलाई को मुस्लिम समुदाय के लोग रघुपुरा के कादलपुर गांव में एक नया मस्जिद बनवा रहे थे।
रिपोर्ट में कहा गया है कि जेवर के उपजिलाधिकारी पुलिस के क्षेत्राधिकारी और रघुपुरा के थानाधिकारी की टीम के साथ करीब एक बजे दिन में गांव पहुंचे और तीन तरफ से निर्मित करीब दस फीट ऊंची दीवार को गिरवा दिया। इस बीच, जेवर के उपजिलाधिकारी बच्चू सिंह ने बातचीत में एलआईयू रिपोर्ट में उनके लिये कही गई बात को गलत ठहराते हुए कहा कि रबुपुरा क्षेत्र उनकी तहसील के दायरे में नहीं आता है इसलिये वहां किसी तरह की कार्रवाई करवाने का कोई सवाल ही नहीं उठता। वह कादलपुर कभी नहीं गए। एलआईयू की रिपोर्ट में कोई टंकण सम्बन्धी त्रुटि हो गयी है या दुर्गाशक्ति नागपाल निर्दोष हैं, यह स्पष्ट करने के लिये कोई भी अधिकारी तैयार नहीं है।
रिपोर्ट के मुताबिक, प्रशासन का कहना है कि इस मस्जिद के निर्माण की अनुमति नहीं होने के कारण यह कार्यवाही की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस मस्जिद के निर्माण के लिये सपा के घोषित लोकसभा प्रत्याशी नरेन्द्र भाटी ने तीन महीने पहले 51 हजार रुपए दिये थे तथा उसका उद्घाटन किया था। रिपोर्ट के मुताबिक गांव के मुस्लिम लोग पंचायत करके आगे की कार्यवाही पर विचार कर रहे हैं इसलिये वहां समुचित पुलिस प्रबन्ध आवश्यक प्रतीत होता है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने गत शनिवार को दुर्गाशक्ति के निलम्बन के औचित्य के सवाल पर मीडिया को कादलपुर में मस्जिद की दीवार ढहाए जाने सम्बन्धी एलआईयू रिपोर्ट पर गौर करने की सलाह दी थी। अब इस रिपोर्ट के लीक होने से सरकार के लिये मुसीबतें खड़ी हो सकती हैं।
अखिलेश ने आज भी आईएएस अधिकारी दुर्गाशक्ति नागपाल के खिलाफ हुई कार्रवाई को न्यायसंगत बताते हुए कहा था कि गलती करने वाले अफसर को सजा मिलती है। उधर, वरिष्ठ काबीना मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने भी कहा कि गौतमबुद्धनगर की उपजिलाधिकारी रही दुर्गाशक्ति नागपाल ने विपक्षी दलों की साजिश में फंसकर अदूरदर्शितापूर्ण तरीके से मस्जिद की दीवार गिरवायी थी मस्जिद की दीवार गिरने से कभी भी कहीं भी दंगा हो सकता था।
गौरतलब है कि खनन माफिया के खिलाफ अभियान चलाने की वजह से सुखिर्यों में आयी गौतमबुद्ध नगर की उपजिलाधिकारी दुर्गाशक्ति नागपाल को रबुपुरा क्षेत्र के कादलपुर गांव में एक निर्माणाधीन मस्जिद की दीवार गिरवाने से साम्प्रदायिक तनाव फैलने के आरोप में गत 27 जुलाई को निलम्बित कर दिया गया था। विपक्षी दलों का आरोप है कि इस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई खनन माफिया के कहने पर की गई है।
First Published: Monday, August 5, 2013, 20:28