Last Updated: Sunday, April 22, 2012, 09:36
भुवनेश्वर: ओडिशा की सत्ता पर काबिज बीजू जनता दल के विधायक झिना हिकाका को अगवा किए जाने की घटना के बाद माओवादियों का अंतर्विरोध खुलकर सामने आ गया है ।
माओवादियों के एक धड़े ने रविवार को हिकाका की रिहाई के एवज में चासी मुलिया आदिवासी संघ के जेल में बंद सभी सदस्यों को रिहा करने की मांग की जबकि दूसरे धड़े की मांग है कि विधायक के भविष्य का फैसला अब प्रजा अदालत पर छोड़ देना चाहिए ।
भाकपा (माओवादी) की श्रीकाकुलम-कोरापुट समिति के नेता दया ने मीडिया के एक तबके को जारी पत्र में लिखा है, ‘हम जेल में बंद चासी मुलिया आदिवासी संघ के सदस्यों की रिहाई की मांग करते हैं । यदि ओडिशा सरकार विधायक की रिहाई के प्रति गंभीर है तो उसे पहले उन सबको रिहा करना चाहिए ।’
तेलुगु में लिखे गए पत्र में कहा गया है कि लक्ष्मीपुर से 37 वर्षीय विधायक झिना हिकाका की रिहाई में हो रही देर के लिए सरकार जिम्मेदार है । पत्र में यह भी कहा गया है कि माओवादी सरकार की नीतियों और उसके रुख के खिलाफ हैं। दया के पत्र से माओवादियों के विरोधाभासी रुख का पता चलता है क्योंकि माओवादी की आंध्र ओडिशा सीमा विशेष क्षेत्रीय समिति के प्रवक्ता जगबंधु ने एक ऑडियो संदेश में कहा कि अगवा किए गए विधायक के भाग्य का फैसला 25 अप्रैल को प्रजा अदालत में होगा ।
बंधक संकट के समाधान के लिए प्रयासरत ओडिशा सरकार के एक अधिकारी ने बताया, ‘दया का नया पत्र काफी भरमाने वाला है । जगबंधु कुछ कहता है जबकि दया चासी मुलिया आदीवासी संघ के जेल में बंद सभी सदस्यों की रिहाई की मांग कर रहा है । हमें नहीं मालूम कि दोनों में कौन सही है ।’
इसके अलावा, दया के पत्र में कहीं भी प्रजा अदालत का जिक्र नहीं है । एक अन्य अधिकारी ने बताया कि दया माओवादी संगठन के पदसोपान में जगबंधु से कहीं नीचे है ।
(एजेंसी)
First Published: Sunday, April 22, 2012, 23:43