Last Updated: Thursday, August 23, 2012, 19:41

लखनऊ : राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) घोटाला मामले में आरोपी अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति देने में आनाकानी करने के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए अविलंब अभियोजन की स्वीकृति देने के आदेश दिए।
मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस इम्तियाज मुर्तजा और जस्टिस अश्वनी कुमार सिंह ने प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) संजय अग्रवाल को तलब करते हुए कहा कि मामले की जांच कर रही केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को आखिर आरोपियों के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति देने में राज्य सरकार क्यूं ढुलमुल रवैया अपना रही है। अदालत ने सख्त रूख अपनाते हुए प्रमुख सचिव से कहा कि आरोपियों के खिलाफ अविलंब अभियोजन की स्वीकृति देकर उसकी रिपोर्ट आगामी 29 अगस्त को अदालत के समक्ष पेश करें।
उल्लेखनीय है कि सीबीआई ने गत 23 मई को राज्य सरकार को पत्र लिखकर 34 चिकित्सकों और अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति मांगी थी लेकिन आरोप है कि राज्य सरकार लगातार स्वीकृति देने में ढिलाई बरत रही थी।
उधर जांच के लिए और समय की मांग कर रही सीबीआई को भी अदालत ने आड़े हाथों लेते हुए कहा कि आगामी 29 अगस्त तक सीबीआई एनआरएचएम घोटाले और मुख्य चिकित्साधिकारियों (सीएमओ)की हत्या के मामले में अपनी जांच की प्रगति रिपोर्ट का पूरा ब्यौरा हलफनामें के तौर पर पेश करें। उसके बाद अदालत अपना रूख तय करेंगी।
ऐसा माना जा रहा है कि हजारों करोड़ के एनआरएचएम घोटाले के सिलसिले में ही लखनऊ के पूर्व मुख्य चिकित्साधिकारियों (परिवार कल्याण) विनोद आर्या और बी.पी.सिंह व डिप्टी सीएमओ वाई.एस.सचान की मौत हुई। अब तक इस घोटाले के सिलसिले में पूर्व परिवार कल्याण मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा सहित करीब बीस लोग गिरफ्तार हो चुके हैं। (एजेंसी)
First Published: Thursday, August 23, 2012, 19:41