अनधिकृत कॉलोनी मुद्दा: दिल्ली के लोकायुक्त करेंगे जांच

अनधिकृत कॉलोनी मुद्दा: दिल्ली के लोकायुक्त करेंगे जांच

अनधिकृत कॉलोनी मुद्दा: दिल्ली के लोकायुक्त करेंगे जांचनई दिल्ली : एक ओर जहां दिल्ली सरकार 1,600 से अधिक अनधिकृत कालोनियों को नियमित करने के लिए प्रयासरत है वहीं दूसरी ओर लोकायुक्त न्यायमूर्ति मनमोहन सरीन ने नियमितीकरण के लिए शुरू की गई प्रक्रिया में कथित अनियमितताओं की विस्तृत जांच करने का फैसला किया है। इन अनधिकृत कालोनियों में करीब 60 लाख लोग रहते हैं।

उप राज्यपाल तेजिन्दर खन्ना ने पिछले माह लोकायुक्त से समुचित कार्रवाई करने के लिए राजनीतिक रूप से संवेदनशील इस मामले पर अंतिम रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था। इसके बाद ही लोकायुक्त ने नियमितीकरण के लिए शुरू की गई प्रक्रिया में कथित अनियमितताओं की विस्तृत जांच करने का फैसला किया।

पूर्व में लोकायुक्त ने खन्ना को एक अंतरिम रिपोर्ट भेजी थी जिसमें उन्होंने अनधिकृत कालोनियों को समुचित सत्यापन के बिना बड़ी संख्या में अस्थायी नियमितीकरण प्रमाणपत्र जारी किए जाने को लेकर दिल्ली सरकार के शहरी विकास मंत्रालय को एक परामर्श जारी करने की सिफारिश की थी। सूत्रों ने बताया कि लोकायुक्त मामले की गहन जांच शुरू करेंगे। यह जांच भूमि हड़पने वालों और राजनीतिज्ञों के बीच कथित सांठगांठ पर भी केंद्रित होगी।

पिछले साल, तत्कालीन संभागीय आयुक्त विजय देव की अध्यक्षता वाली एक समिति ने अस्थायी नियमितीकरण प्रमाणपत्र जारी करने की प्रक्रिया में खामियां पाई थीं और अनियमितताओं में शामिल लोगों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही करने की सिफारिश की थी। समिति ने कहा था कि कुछ ऐसी कालोनियों को भी अस्थायी नियमितीकरण प्रमाणपत्र जारी किए गए जिन कालोनियों का अस्तित्व है ही नहीं। मानकों के मुताबिक, 31 मार्च 2002 से पहले अस्तित्व में आईं और आठ फरवरी 2007 तक 50 फीसदी भाग में इमारतों वाली अनधिकृत कालोनियां अस्थायी नियमितीकरण प्रमाणपत्र हासिल करने योग्य होती हैं।

उप राज्यपाल को सौंपी गई अपनी अंतरिम रिपोर्ट में न्यायमूर्ति सरीन ने कहा कि अनधिकृत कालोनियों के भौतिक सत्यापन के बिना अस्थायी नियमितीकरण प्रमाणपत्र जारी किए गए और इनमें से कुछ कालोनियां तो खाली मैदान थीं। सरकार इन कालोनियों को सड़क, बिजली और नालियों जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने की प्रक्रिया में है।

विजय देव द्वारा रिपोर्ट दिए जाने के बाद सरकार ने कई कालोनियों को नोटिस जारी किए और उनके अस्थायी नियमितीकरण प्रमाणपत्र रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर दी।

वर्ष 2008 में विधानसभा चुनावों से पहले दिल्ली सरकार ने करीब 1,600 अनधिकृत कालोनियों को अस्थायी नियमितीकरण प्रमाणपत्र जारी किए थे। वोट बैंक के नजरिये से ये कालोनियां महत्वपूर्ण हैं।

तत्कालीन शीला दीक्षित सरकार ने प्रमाणपत्र जारी करने के साथ साथ यह भी वादा किया था कि अगर तीसरी बार कांग्रेस सत्ता में आई तो इन कालोनियों को नियमित कर दिया जाएगा। पिछले साल अप्रैल में स्थानीय निकाय चुनावों में कांग्रेस की हार के बाद दीक्षित ने सभी संबद्ध विभागों से नियमितीकरण प्रक्रिया तेज करने को कहा था। इन चुनावों में कांग्रेस की हार का एक कारण अनधिकृत कालोनियों में जनाधार में कमी भी थी।

अब नवंबर में फिर से विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में शहर की सरकार ने करीब 900 अनधिकृत कालोनियों में फिर से अवसंरचना संबंधी परियोजनाएं शुरू कर दी है। रिज इलाके और वन भूमि में अस्तित्व में आईं अनधिकृत कालोनियों को नियमित करने का सरकार का कदम भी शायद लोकायुक्त जांच की वजह हो सकता है क्योंकि ऐसी बसावटों का नियमितीकरण उच्चतम न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन होगा। सरकार ने सितंबर में 895 अनधिकृत कालोनियों को नियमित करने का ऐलान किया था और वादा किया था कि शेष अनधिकृत कालोनियों को भी शीघ्र ही नियमित किया जाएगा। (एजेंसी)

First Published: Sunday, April 28, 2013, 13:23

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