Last Updated: Tuesday, July 2, 2013, 15:48

देहरादून : बाढ़ प्रभावित उत्तराखंड के बद्रीनाथ में फंसे करीब 150 यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकालने के साथ ही मंगलवार को यहां तीर्थयात्रियों का बचाव अभियान समाप्त हो गया, लेकिन खाद्यान्न की कमी से जूझ रहे राज्य के दूर दराज के 170 गांवों में राहत सामग्री पहुंचाना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है।
उधर, संयुक्त राष्ट्र की एक एजेंसी ने अनुमान लगाया है कि लापता लोगों की संख्या 11,000 से ज्यादा हो सकती है।
हालांकि, एनडीएमए के उपाध्यक्ष एम शशिधर रेड्डी ने दर्ज प्राथमिकियों के मुताबिक लापता लोगों की संख्या 3,500 से 3,700 तक है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र की एक एजेंसी द्वारा कुछ एनजीओ के साथ मिलकर तैयार रिपोर्ट में यह आंकड़ा 11 हजार से ज्यादा होने का अनुमान लगाया गया है। उन्होंने बताया कि सर्वाधिक मौत के मामले केदारनाथ और रामबाड़ा में सामने आए वहीं घायलों की संख्या 3,119 हो गई है।
शवों को मलबे से बाहर निकालने और उनका अंतिम संस्कार करने का कार्य प्रशासन के लिए सिरदर्द बना हुआ है क्योंकि पिछले दो दिनों में वहां किसी भी शव का अंतिम संस्कार नहीं हो पाया है। अभी तक केवल 36 शवों का ही अंतिम संस्कार किया जा सका है।
चमोली जि़ला मजिस्ट्रेट एसए मुरगेसन ने कहा कि बद्रीनाथ धाम में फंसे सभी यात्री बाहर निकाल लिए गए हैं। अब कुछ स्थानीय और नेपाली श्रमिक वहां हैं। यदि मौसम साफ रहा तो उन्हें शाम तक बाहर निकाल लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि इलाके में सड़कें और पुल क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण प्रभावित गांवों में राहत सामग्री पहुंचाने का काम प्रशासन के सामने बड़ी चुनौती बना हुआ है।
उन्होंने बताया कि लंबागढ़ में अलकनंदा पर बना पुल बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है जिसकी मरम्मत में दो-तीन महीने लगेंगे। बीआरओ इसकी मरम्मत कर रहा है। अधिकारियों ने बताया कि दूर दराज के गांवों में राहत सामग्री पहुंचाना एक बड़ी समस्या है। उन्होंने कहा कि हालांकि इस काम के लिए हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल किया जा रहा है लेकिन यह कार्य कुछ ही इलाकों तक सीमित है।
अधिकारियों ने बताया कि गौरीकुंड-केदार राजमार्ग अब भी बंद है जिसके कारण रुद्रप्रयाग जिले के केदारघाटी इलाके में कम से कम 170 गांवों में खाद्यान्न की कमी हो गई है। जि़ले के कालीमठ, चंद्रपुरी और सौरी इलाकों में राहत सामग्री भेज दी गई है। उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री राजमार्ग आठ स्थानों पर बंद है जबकि यमुनोत्री राजमार्ग हनुमान चट्टी से यमुनोत्री तक बंद है जिसे कारण प्रभावित गांवों तक राहत सामग्री पहुंचाना कठिन हो गया है।
उपमहानिरीक्षक अमित सिन्हा ने बताया कि केदारनाथ में महामारी फैलने के खतरे के मद्देनज़र शवों को मलबे से बाहर निकालने और उनके अंतिम संस्कार की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए प्रशिक्षित पुलिसकर्मी और एक चिकित्सक दल वहां भेजे गए हैं। आपदा में मरने वाले लोगों की संख्या को लेकर अलग अलग आंकड़ों के बीच मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने सोमवार को कहा था कि प्रभावित इलाकों का दौरा करने वाले पुलिस अधिकारियों ने बताया है कि 500 से 600 शव वहां देखे जा सकते हैं, कई शव मलबे में दबे हो सकते हैं और कई लापता लोगों को ढूंढा जाना अभी बाकी है। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, July 2, 2013, 13:41