Last Updated: Wednesday, August 28, 2013, 18:31
देहरादून : उत्तराखंड में जून में आई तबाही के प्रभाव से निकलने में अभी एक वर्ष से ज्यादा का वक्त लगेगा क्योंकि प्रकृति की अनिश्चतताओं और अलग भौगोलिक स्थितियों ने पुनर्वास की प्रक्रिया को कठिन बना दिया है।
आपदा प्रबंधन केंद्र के प्रमुख पीयूष रौतेला ने बुधवार को कहा कि तबाही की प्रकृति व्यापक थी क्योंकि देश के हर कोने से आए लोग मारे गए थे और सैकड़ों गांव बह गए इसलिए उत्तराखंड में पुनर्निर्माण एवं पुनर्वास कार्य को समय सीमा में नहीं बांधा जा सकता।
एक आधिकारिक आंकड़े के मुताबिक इस वर्ष मध्य जून में अचानक बाढ़ एवं भूस्खलन से आई तबाही को दो महीने से ज्यादा वक्त हो चुका है लेकिन प्रभावित इलाकों में जनजीवन अभी पटरी पर नहीं लौटा है। 366 गांवों के 10234 परिवारों का अभी तक पुनर्वास नहीं हुआ है और 335 सड़कें अब भी जाम हैं, जिनमें बुरी तरह प्रभावित चमोली, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी एवं पिथौरागढ़ जिलों सहित कई जगहों पर बड़ी सड़कें शामिल हैं। यातायात के लिए 1967 सड़कें खुली हैं लेकिन ये अस्थायी हैं।
बहरहाल राज्य सरकार को विश्वास है कि ऋषिकेश-बद्रीनाथ, ऋषिकेश-गंगोत्री और ऋषिकेश-यमुनोत्री राजमार्ग सहित बड़े राजमार्ग 30 सितंबर की निर्धारित समय सीमा के अंदर खुल जाएंगे। रौतेला ने कहा कि बीआरओ और पीडब्ल्यूडी कर्मी बुरी तरह क्षतिग्रस्त सड़कों को नियत समय सीमा के अंदर खोलने के लिए प्रयासरत हैं लेकिन यह सब बारिश पर निर्भर करता है जो यदाकदा काम को प्रभावित कर रही है। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, August 28, 2013, 18:31