Last Updated: Thursday, July 4, 2013, 10:43
ज़ी मीडिया ब्यूरो देहरादून : उत्तराखंड में आपदा से प्रभावित लोगों को राहत सहायता मुहैया कराने के लिए युद्धस्तर पर प्रयास जारी हैं। वहीं, राज्य में फिर से भीषण बारिश का खतरा मंडरा रहा है। पांच और छह जुलाई को भारी बारिश का अलर्ट जारी किया गया है। राहत व बचाव की चुनौतियों के बीच एक रिपोर्ट के अनुसार, धर्मा और व्यास वैली क्षेत्रों में अभी भी करीब तीन सौ लोग फंसे हैं। मौसम विभाग के अनुसार, चमोली और कुमाऊं क्षेत्र में भारी बारिश का अनुमान है। उधर, उत्तराखंड सरकार ने सभी तैयारियों का दावा किया है।
राहत सामग्री लेकर जा रहे ट्रकों को खाली करने के लिए पांच नोडल बिंदू-गौचर, कर्णप्रयाग, जोशीमठ, गोपश्वर और ग्वालदम बनाए गए हैं जहां से इसे हेलीकाप्टर में लादकर प्रभावित इलाकों में पहुंचाया जा रहा है। ऐसी आशंका है कि अगर फिर से बारिश हुई थी तो सड़के फिर से अवरूद्ध हो सकती हैं।
उत्तराखंड के मुख्य सचिव सुभाष कुमार की ओर से जारी परामर्श में कहा गया है कि, मौसम विभाग ने भविष्यवाणी की है कि अगले 72 घंटे के दौरान चमोली के कई स्थानों और कुमांऊं क्षेत्र विशेष तौर पर पिथौरागढ़, चंपावत, नैनीताल और उधमसिंह नगर जिलों में भारी बारिश (70-90 मिलीमीटर) हो सकती है। परामर्श के अनुसार, उत्तराखंड के कुछ इलाकों में माध्यम बारिश (20-40 मिलीमीटर) का अनुमान है। जिला अधिकारियों और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को सतर्क रहने और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने को कहा जाता है ताकि आगे जानमाल का नुकसान नहीं हो।
उत्तराखंड के कई स्थानों पर 20 से 40 मिलीमीटर बारिश का अनुमान लगाया गया है। जिला मजिस्ट्रेट और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों को लोगों को सुरक्षित स्थानों पर बनाए रखने और जान माल की हानि नहीं हो इसको सुनिश्चित करने के लिये सतर्क कर दिया गया है। राज्य सरकार ने दावा किया है कि प्रभावित इलाकों में खाद्यान की कोई कमी नहीं है। एक आधिकारिक विज्ञप्ति के मुताबिक बाढ़ प्रभावित इलाकों में गेहूं का स्टॉक 10043.3 मिट्रिक टन, चावल 12176.8 मिट्रिक टन, चीनी 837.3 मिट्रिक टन मौजूद है। इसके अतिरिक्त 344.2 किलोलीटर मिट्टी का तेल और 48943 एलपीजी सिलेंडर जिला स्तर पर मौजूद हैं। इसके अलावा राहत सामग्री लदे 309 ट्रकों को प्रभावित जिलों में रवाना किया गया है।
प्रभावित इलाकों में 9.4 लाख लीटर डीजल और 4.76 लाख लीटर पेट्रोल उपलब्ध कराया गया है। विज्ञप्ति में कहा गया है कि राज्य सरकार ने राहत अभियान के लिये 103 करोड़ रपये जारी किया है। जिलाधिकारियों को राहत कार्यो के लिये धन खर्च करने में पूरी छूट दी गई है। इस बीच यहां ऐसी रिपोर्टें आ रही है कि गांवों के लोगों तक राहत सामग्री नहीं पहुंच पा रही है। सरकार भले दावा कर रही हो कि बारिश से प्रभावित इलाकों में सैकड़ों मीट्रिक टन राहत सामग्री गिराई गई हैं पर सड़कों से कटे गांवों में लोगों को अब भी इनका इंतजार है। रूद्रप्रयाग, चमोली और उत्तरकाशी जिलों में तो प्रमुख राजमार्ग अब भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हैं।
चमोली जिले में बद्रीनाथ राजमार्ग पर जोशीमठ के पास खीरोन गांव में उफनती अलकनंदा नदी के तेज बहाव से बचाव की खातिर लोगों ने गुफाओं में शरण ली है। उत्तरकाशी के 40 से ज्यादा गांवों में भी हालात इससे अलग नहीं हैं।
उधर, सीमा सड़क संगठन का कहना है कि उत्तराखंड में भारी वर्षा और नदियों में लगातार बढ़ रहे जलस्तर के बावजूद कुछ इलाकों में राजमार्गों का संपर्क बहाल करने की दिशा में अच्छी प्रगति हुई है। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की ओर से जारी बयान के अनुसार, बीआरओ ने दोनो मुख्य संपर्क मार्गों ऋषिकेश से उत्तरकाशी और ऋषिकेश-जोशीमठ-गोविन्दघाट को खुला रखा है और गोविन्दघाट तथा जोशीमठ के बीच के दो प्रमुख अवरोधों को भी साफ कर दिया गया है।
बयान के अनुसार, नुकसान बहुत ज्यादा हुआ है, नदियों में उंचे जलस्तर और तेज बारिश ने काम करना बहुत मुश्किल कर दिया है। कई जगहों पर नदी ने पूरी सड़क ही बर्बाद कर दी है। बीआरओ का कहना है कि पिथौरागढ़ से धारचुला रोड के काम में अच्छी प्रगति हो रही है उसे देखते हुए आशा की जा रही है कि अगले तीन से चार दिनों में धारचुला के साथ संपर्क बहाल हो जाएगा। संगठन ने सड़क नेटवर्क को फिर से बहाल करने के लिए अपने चार हजार कर्मचारियों और श्रमिकों के अलावा 130 खुदाई मशीनों और बुलडोजर को काम पर लगाया है।
First Published: Thursday, July 4, 2013, 10:43