झारखंड के नए गुरूजी बने हेमंत सोरेन

झारखंड के नए गुरुजी बने हेमंत सोरेन

झारखंड के नए गुरुजी बने हेमंत सोरेनरांची : झारखंड के 9वें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा के नये ‘गुरू जी’ बन गये हैं। एक समय झामुमो में हेमंत के बड़े भाई दुर्गा सोरेन को पिता शिबू सोरेन उर्फ गुरू जी का राजनीतिक उत्तराधिकारी माना जाता था, लेकिन 2009 में बड़े भाई की मौत ने हेमंत को राज्य की राजनीति के केंद्र में ला खड़ा किया।

हेमंत तब तक राजनीति से किनारे ही रहा करते थे और वर्ष 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में दुमका सीट पर तत्कालीन झामूमो नेता स्टीफेन मरांडी, जो अब कांग्रेस में हैं, के हाथों मात खा चुके थे। मई 2009 में दुर्गा की मृत्यु हो गई और उसी वर्ष दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव में हेमंत ने दुमका सीट पर जीत दर्ज की। इससे पहले वह 24 जून, 2009 से चार जनवरी 2010 तक राज्यसभा सांसद भी रहे।

झारखंड में 11 सितंबर, 2010 को जब अर्जुन मुंडा के नेतृत्व में भाजपा, झामूमो, जदयू और आजसू की गठबंधन सरकार बनी, तब 37 वर्षीय सोरेन को उपमुख्यमंत्री का ओहदा मिला और उन्होंने राज्य के वित्त मंत्री, नगर विकास मंत्री, आवास, पेयजल, नागर विमानन तथा खान विभाग की भी जिम्मेदारी संभाली।

उन्होंने अपने पिता शिबू सोरेन को अलग राज्य के लिए आंदोलन करते, घूसखोरी का आरोपी बनते, केंद्र की सरकार में शामिल होकर कोयला मंत्री बनते और फिर एक वारंट जारी होने के बाद इस पद से इस्तीफा देते, झारखंड में तीन बार मुख्यमंत्री बनते तथा पद से उतरते देखा। इससे उनका राजनीतिक अनुभव मजबूत हुआ।

हेमंत अब राज्य के 13 वर्षो के इतिहास में गठित नौवीं सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं। हेमंत का जन्म 10 अगस्त, 1975 को रामगढ़ जिले के नेमरा गांव में हुआ था। बोकारो से प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद पटना विश्वविद्यालय से 1994 में उन्होंने इंटर पास किया।

उनके करीबी सहयोगियों का दावा है कि उन्होंने मेकेनिकल इंजिनियरिंग की है, लेकिन वर्ष 2005 और वर्ष 2009 के विधानसभा चुनाव में दायर नामांकन पत्र में उन्होंने अपनी शैक्षणिक योग्यता इंटर पास बताई है।

हेमंत को अपनी पत्नी कल्पना से दो बेटे हैं। उनका एक छोटा भाई बसंत और बहन अंजलि है। लेखक के रूप में प्रेमचंद को पसंद करने वाले हेमंत सोरेन आधुनिक युग की प्रौद्योगिकी से वाकिफ हैं और नेट सर्फिंग करने में रुचि रखते हैं।
मधु कोड़ा के इस्तीफे के बाद राज्य में दूसरी बार फिर शिबू सोरेन को 27 अगस्त, 2008 को ही राज्य के छठे मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलायी गयी और वह 144 दिन तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे । संविधान के अनुसार छह माह के भीतर राज्य का मुख्यमंत्री बनने के लिए उन्होंने तमाड़ विधानसभा से उपचुनाव लड़ा और दुर्भाग्य से वह चुनाव हार गये और उन्हें पुन: 18 जनवरी, 2009 को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। इन हालात में 19 जनवरी 2009 को झारखंड में पहली बार राष्ट्रपति शासन लगाया गया जो दो अवधि में कुल 344 दिनों के लिए 29 दिसंबर, 2009 तक जारी रहा।

राज्य में राष्ट्रपति शासन के दौरान तीसरी विधानसभा के लिए कराये गये चुनावों के बाद फिर त्रिशंकु विधानसभा बनी और 30 दिसंबर, 2009 को एक बार फिर झामुमो के शिबू सोरेन के नेतृत्व में सरकार का गठन किया गया जिसे भाजपा, आज्सू पार्टी और जदयू ने अपना समर्थन दिया।

शिबू इस बार भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके। केन्द्रीय बजट पर सहयोगी भाजपा के कटौती प्रस्ताव के विरोध में और केन्द्र की संप्रग सरकार के समर्थन में लोकसभा सदस्य के रूप में मतदान कर उन्होंने आफत मोल ले ली। इस पर भाजपा ने उनकी सरकार से समर्थन वापस ले लिया जिसके चलते अल्पमत में आ जाने के कारण 31 मई 2010 को शिबू को अपनी सरकार का इस्तीफा देना पड़ा।

शिबू सोरेन के 31 मई, 2010 को अपने पद से इस्तीफा देने के बाद राज्य में कोई भी राजनीतिक दल नयी सरकार के गठन के लिए आगे नहीं आया जिसके कारण यहां एक जून, 2010 से दूसरी बार राष्ट्रपति शासन लागू करना पड़ा जो 11 सितंबर, 2010 तक कुल 102 दिनों तक चला और उसी दिन भाजपा के अर्जुन मुंडा ने तीसरी बार राज्य के आठवें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की। उनकी सरकार को झामुमो, आज्सू और जदयू एवं दो निर्दलीय विधायकों ने बिना शर्त समर्थन दिया था। बाद में 850 दिनों के बाद आठ जनवरी, 2013 को उनकी सरकार से झामुमो ने अपना समर्थन वापस ले लिया और अजरुन मुंडा सरकार ने उसी दिन इस्तीफा दे दिया। लेकिन राष्ट्रपति शासन 18 जनवरी, 2013 को लागू किये जाने के कारण मुंडा 18 जनवरी, 2013 तक राज्य के आठवें मुख्यमंत्री के रूप में कार्य करते रहे।

राज्य में तीसरी बार 18 जनवरी, 2013 को राष्ट्रपति शासन लगाया गया जो 176 दिन बाद आज तब समाप्त हुआ जब झामुमो नेता हेमंत सोरेन ने राज्य के नौवें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की। हेमंत सोरेन को कांग्रेस, राजद और तीन छोटे दलों के तीन एवं चार निर्दलीय विधायकों समेत कुल 43 विधायकों का समर्थन प्राप्त है। (एजेंसी)

First Published: Saturday, July 13, 2013, 16:02

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