झारखंड: झामुमो की समर्थन वापसी के बाद अर्जुन मुंडा का इस्तीफा

झारखंड: झामुमो की समर्थन वापसी के बाद अर्जुन मुंडा का इस्तीफा

झारखंड: झामुमो की समर्थन वापसी के बाद अर्जुन मुंडा का इस्तीफारांची : झारखंड में मंगलवार सुबह तेजी से घटे राजनीतिक घटनाक्रम में सत्तारूढ गठबंधन के प्रमुख घटक झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने भाजपा नीत अर्जुन मुंडा सरकार से औपचारिक रूप से समर्थन वापस ले लिया, जिसके मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने राज्यपाल को अपना इस्तीफा दिया और उन्हें 82 सदस्यीय राज्य विधानसभा भंग करने की सिफारिश के अपने मंत्रिमंडल के फैसले की सूचना दी। अब गेंद पूरी तरह राज्यपाल के पाले में है और उनके निर्णय की सभी दल उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रहे हैं।

राज्य में आज सुबह साढे नौ बजे मुख्यमंत्री ने राज्य कैबिनेट की बैठक आहूत की जिसमें राज्यपाल से विधानसभा भंग करने की सिफारिश करने का निर्णय किया गया। इस बैठक में राज्य के बारह सदस्यीय मंत्रिमंडल के सात सदस्य मौजूद थे जबकि झामुमो के पांचों मंत्रियों ने बैठक में भाग नहीं लिया। इसके लगभग एक घंटे बाद झामुमो के नेता शिबू सोरेन अपने पुत्र और उप मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और पार्टी के अन्य नेताओं के साथ राजभवन पहुंचे और राज्यपाल को मुंडा सरकार से समर्थन वापसी का अपना पत्र सौंपा।

हेमंत सोरेन ने राजभवन के बाहर संवाददाताओं को बताया कि उन्होंने राज्यपाल को समर्थन वापसी का अपना पत्र सौंप दिया, जिससे मुंडा सरकार अल्पमत में आ गई है।
उन्होंने कहा कि मुंडा सरकार को विधानसभा भंग करने की सिफारिश करने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि वह अल्पमत में है। उन्होंने बताया कि झामुमो कल ही मुंडा सरकार से समर्थन वापसी की घोषणा कर चुकी है और उसने कैबिनेट की बैठक से पहले ही अपना समर्थन वापसी का पत्र फैक्स के जरिये राज्यपाल को भेज दिया था।
मुंडा ने हालांकि कहा कि समर्थन वापसी के पत्र फैक्स के जरिये नहीं भेजे जाते। ऐसे पत्र तभी मान्य होते हैं जब वे स्वयं उपस्थित होकर राज्यपाल को पत्र दें।

मुंडा ने यहां संवाददाताओं को बताया कि सुबह साढे नौ बजे हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में राज्यपाल सैयद अहमद से विधानसभा भंग करने की सिफारिश करने का फैसला किया गया। बैठक में उनके 12 सदस्यीय मंत्रिमंडल के सात सदस्य मौजूद थे जबकि झारखंड मुक्ति मोर्चा के पांच मंत्रियों ने बैठक में भाग नहीं लिया। उधर सुबह साढे दस बजे झामुमो ने सरकार से समर्थन वापसी का पत्र राज्यपाल सैयद अहमद को सौंप दिया। इसके लगभग एक घंटा बाद मुंडा ने राजभवन में राज्यपाल से भेंट की। राजभवन से बाहर आकर उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि मैंने राज्यपाल को विधानसभा भंग करने की सिफारिश करने के कैबिनेट के फैसले से अवगत करा दिया और इसके साथ ही उन्हें अपना इस्तीफा सौंप दिया।

मुंडा ने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के सरकार से समर्थन वापसी के बाद किसी भी राष्ट्रीय दल के राज्य में वैकल्पिक सरकार के लिए खुलकर दावेदारी नहीं करने के बाद विधानसभा भंग करने की सिफारिश करने का फैसला किया गया। उन्होंने कहा कि हमने लगभग दो साल तक राज्य में स्थिर सरकार चलायी लेकिन अब जब अस्थिरता के आसार नजर आने लगे तो हमें लगा कि यह नए सिरे से जनता के पास जाने का समय है और इसलिये विधानसभा भंग करने की सिफारिश कर दी। मुंडा ने एक सवाल के जवाब में कहा कि उनकी सरकार ने जब मंत्रिमंडल की बैठक में विधानसभा भंग करने की सिफारिश करने का फैसला किया था तब वह अल्पमत में नहीं थी। किसी घटक के औपचारिक तौर पर समर्थन वापसी के बाद ही कोई सरकार अल्पमत में आती है।

उनसे पूछा गया था कि झामुमो के समर्थन वापसी के बाद उनकी सरकार अल्पमत में आ गयी थी ऐसे में राज्यपाल को विधानसभा भंग करने की सिफारिश कोई अल्पमत की सरकार कैसे कर सकती है। मुख्यमंत्री के साथ उनके सहयोगी दल आजसू के मंत्री चन्द्र प्रकाश चौधरी, जदयू के गोपाल कृष्ण पातर और भाजपा के मंत्री एवं अन्य भाजपा विधायक भी थे। मुंडा ने कहा कि राज्य की स्थिति और झारखंड मुक्ति मोर्चा के रुख को देखते हुए उन्होंने यहां की जनता के हित में आज यह कदम उठाया ताकि यहां कोई राजनीतिक जोड़ तोड़ कर राज्य की जनता के साथ धोखा न किया जा सके।
दूसरी तरफ, आज मंत्रिमंडल की बैठक में न पहुंच कर उपमुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपने पिता शिबू सोरेन और अपने कोटे के अन्य मंत्रियों के साथ तय समय दिन के एक बजे की बजाय सुबह साढ़े दस बजे ही राजभवन पहुंच गए और वहां उन्होंने राज्यपाल को मुंडा सरकार से समर्थन वापसी का पत्र सौंपा। बाद में मीडिया के सवालों के जवाब में उन्होंने कहा कि अल्पमत सरकार विधानसभा भंग करने की अनुशंसा कैसे कर सकती है।

इससे पूर्व कल दिन भर झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन के घर चली बैठक के बाद शाम को झामुमो ने राज्य सरकार से समर्थन वापसी का फैसला किया था। इसके बाद भाजपा को आज्सू ने अपना समर्थन देने और सरकार गिरने की स्थिति में चुनाव में जाने की घोषणा की थी।

राज्य की भाजपा-झामुमो-आज्सू-जदयू गठबंधन सरकार को बचाने के अंतिम प्रयास के तौर पर मुख्यमंत्री अजरुन मुंडा ने कल झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन और उनके बेटे तथा उपमुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से उनके आवास पर बंद कमरे में लगभग 40 मिनट तक बातचीत की थी। सोरेन के घर पर झामुमो कोर समिति और जिलाध्यक्षों की बैठक के बाद झामुमो में उठ रही मुंडा सरकार से समर्थन वापसी की मांग को ठंडा करने और सोरेन को मनाने के लिए स्वयं मुख्यमंत्री वहां गए थे। सोरेन इस बात से आहत थे कि उनके 28-28 माह के कार्यकाल के रूप में सत्ता में भागीदारी के उनके दावे को मुख्यमंत्री ने तीन जनवरी के अपने पत्र में लिखित तौर पर झुठला दिया था। झामुमो ने समर्थन वापसी का निर्णय लेने से पहले भाजपा के कई नेताओ से बातचीत की थी लेकिन कोई हल नहीं निकल पाने के बाद यह कदम उठाया। मुंडा ने कहा कि राज्यपाल ने उन्हें नई व्यवस्था होने तक कार्यवाहक मुख्यमंत्री के तौर पर कार्य करते रहने को कहा है। इस बीच कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा ने विधानसभा भंग करने के मंत्रिमंडल के फैसले को अल्पमत की सरकार का फैसला बताते हुए उसे अर्थहीन करार दिया और कहा कि उसे मानने के लिए राज्यपाल बाध्य नहीं हैं।

मुंडा ने कहा कि राज्य में अस्थिर राजनीतिक हालात को देखते हुए उनकी सरकार ने राज्य विधानसभा भंग कर जनता के पास नये जनादेश के लिए जाने का फैसला किया। राजभवन सूत्रों ने बताया कि राज्यपाल पूरी स्थिति पर विचार कर रहे हैं और उन्होंने मुख्यमंत्री से फिलहाल अंतिम फैसला होने तक अपने पद पर बने रहने को कहा है। (एजेंसी)

First Published: Tuesday, January 8, 2013, 11:02

comments powered by Disqus