दिल्ली: नाबालिग के अपहरण में महिला दोषी

दिल्ली: नाबालिग के अपहरण में महिला दोषी

नई दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने एक महिला को नाबालिग बच्चे के अपहरण का दोषी ठहराया लेकिन उसके खिलाफ बच्चे को जान से मारने की धमकी देने के आरोप निरस्त कर दिये। अदालत ने कहा कि यह बच्चा जब बरामद हुआ था तो वह न तो रो रहा था और न ही उसके शरीर पर किसी प्रकार की चोट के निशान थे।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश मधु जैन ने महिला के पुरुष साथी को फिरौती और जान से मारने की धमकी देने के आरोपों से बरी कर दिया। न्यायाधीश ने कहा कि जब बच्चे को बरामद किया गया तो उस समय न तो वह रो रहा था और न ही उसके शरीर पर किसी चोट के निशान थे। ऐसा कोई सबूत नहीं है कि बच्चे का अपहरण करने वाली अभियुक्त प्रेमवती ने उसे किसी प्रकार की चोट पहुंचाने या मारने का भय दिखाया था।

अभियोजन पक्ष के अनुसार बच्चे के पिता निरंजन सिंह ने 29 मई, 2010 को पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करायी थी कि प्रेमवती और उसके साथी गजराज ने उसके बच्चे का अपहरण कर लिया है।

निरंजन सिंह ने एक जून 2010 को अदालत को बताया कि प्रेमवती ने उसे टेलीफोन पर सूचित किया कि उसका बच्चा पटना में उसके कब्जे में है और उसने बच्चे की रिहाई के लिए फिरौती भी मांगी थी।

पुलिस ने बाद में जांच के दौरान इस बच्चे को प्रेमवती के कब्जे से बरामद किया था। प्रेमवती के बयान के आधार पर पुलिस ने गजराज को भी गिरफ्तार कर लिया था। गजराज के वकील का कहना था कि उसके खिलाफ कोई सबूत नहीं है और पुलिस ने शिकायतकर्ता के संदेह के आधार पर ही उसे गिरफ्तार कर लिया है।

दूसरी ओर प्रेमवती के मामले में वकील ने अदालत में कहा कि ऐसा केाई सबूत नहीं है कि उसने बच्चे के पिता से फिरौती के रूप में कोई रकम मांगी थी या बच्चे की जान जोखिम में डालने की धमकी दी थी। अदालत ने प्रेमवती को बच्चे के अपहरण के अपराध का दोषी ठहराते हुए उसके खिलाफ फिरौती मांगने का आरोप निरस्त कर दिया था। (एजेंसी)

First Published: Sunday, September 9, 2012, 11:06

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