Last Updated: Friday, January 27, 2012, 09:24
नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने प्री स्कूल और प्री प्राइमरी कक्षाओं में बच्चों के उम्र और दाखिला मानदंडों में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। हाईकोर्ट ने दिल्ली में नर्सरी दाखिले पर शुक्रवार को कहा कि दाखिले के लिए मौजूदा नियम ही लागू होगा। दाखिले के लिए उम्र सीमा बढ़ाकर चार साल नहीं की जाएगी। अब नर्सरी में तीन साल से ज्यादा उम्र में ही दाखिला हो सकेगा।
दिल्ली हाईकोर्ट ने प्री स्कूलों में दाखिले और इसकी अर्हता में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए शुक्रवार को कहा कि ‘समावेशी प्राथमिक शिक्षा’ सभी बच्चों के लिए जरूरी है। अदालत के इस आदेश से तीन साल की आयु पूरी कर चुके बच्चों का दाखिला प्री नर्सरी कक्षाओं में हो सकता है।
मुख्य कार्यवाहक न्यायाधीश एके सीकरी के नेतृत्व वाली एक पीठ ने इस सिलसिले में एक गैर सरकारी संगठन की याचिका खारिज करते हुए कहा कि तीन साल की आयु पूरी कर चुके बच्चे को औपचारिक शिक्षा से वंचित करना भेदभावपूर्ण और नुकसानदेह होगा।
एनजीओ ‘सोशल जूरिस्ट’ ने अपनी याचिका में कहा था कि चार साल या इससे अधिक उम्र के बच्चों का ही स्कूलों में दाखिला किया जाए। एनजीओ ने दिल्ली के निजी एवं गैर सहायता प्राप्त स्कूलों में प्री स्कूल कक्षाओं में तीन साल की आयु पूरी कर चुके बच्चों के दाखिले पर रोक लगाने के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की थी। पीठ में शामिल न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडलॉ ने गांगुली समिति की इन बातों से असहमति जाहिर की, जिसमें कहा गया था कि चार साल से कम उम्र के बच्चों पर स्कूली शिक्षा का भार नहीं डाला जाना चाहिए। पीठ ने कहा कि वह गांगुली समिति की सिफारिशों से सहमत नहीं हैं। यहां तक कि ‘शिक्षा का अधिकार अधिनियम’ सभी बच्चों के लिए समावेशी प्राथमिक शिक्षा मुहैया करता है।
अदालत ने यह स्पष्ट किया कि प्रवेश स्तर पर प्री स्कूल (नर्सरी) या प्री प्राइमरी कक्षाओं वाले स्कूल अपनी दाखिला प्रक्रिया को जारी रख सकते हैं। एनजीओ ने अपनी याचिका में यहां के विभिन्न स्कूलों द्वारा अपनाई गई अलग-अलग उम्र अर्हता का हवाला दिया।
(एजेंसी)
First Published: Friday, January 27, 2012, 18:54