Last Updated: Wednesday, February 20, 2013, 22:05
नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने नाबालिग होने का दावा करने वाले आरोपियों की उम्र को सुनिश्चित करने की प्रक्रिया का पालन करने संबंधी याचिका को खारिज कर दिया। मुख्य न्यायाधीश डी मुरुगेसन और न्यायामूर्ति वी के जैन ने कहा, ‘‘ याचिका को खारिज किया जाता है। किशोर न्याय (देखभाल एवं सुरक्ष) अधिनियम के तहत नियमों को चुनौती नहीं दी गयी इसलिये याचिका को स्वीकार नहीं किया जा सकता।’’ अदालत ने इस याचिका को दायर करने वाले वकील आर के तरुण को इस मुद्दे पर दोबारा याचिका दायर करने की अनुमति दी।
अदालत ने कहा कि सर्वप्रथम निकाय संस्था द्वारा जारी जन्म प्रमाण पत्र मान्य है..इसकी अनुपस्थिति में विद्यालय का प्रमाणपत्र भी स्वीकार किया जा सकता है। इन दोनों प्रमाण पत्रों की अनुपस्थिति में हड्डियों की संख्या की जांच के जरिये उम्र का पता लगाया जा सकता है। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, February 20, 2013, 22:05