पोस्को संयंत्र विरोधी की पिटाई पर बवाल

पोस्को संयंत्र विरोधी की पिटाई पर बवाल

भुवनेश्वर : एक सरकारी भूमि अधिकारी द्वारा पोस्को इस्पात संयंत्र का विरोध कर रहे एक व्यक्ति को पीटते हुए दर्शाए गए एक वीडियो फुटेज के जारी होने के बाद ओडिशा में सामाजिक कार्यकर्ताओं तथा राजनीतिकों ने मंगलवार को नाराजगी जाहिर करते हुए अभियुक्त के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।

वीडियो फुटेज में राज्य शासित ओडिशा बुनियादी औद्योगिक विकास प्राधिकरण के एक भूमि अधिकारी संग्राम महापात्रा सोमवार को भुवनेश्वर से 100 किमी. दूर जगतसिंहपुर जिले के गोविंदपुर गांव में पोस्को का विरोध कर रहे एक युवक को डंडे से बेरहमी से पीटते नजर आए। यह घटना स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों तथा पुलिस की उपस्थिति में तब घटी जब सैकड़ों की संख्या में महिलाएं, पुरुष तथा बच्चे दक्षिण कोरिया की 12 अरब डॉलर के स्टील प्रोजेक्ट पोस्को का शांतिपूर्वक विरोध कर रहे थे। इस घटना का वीडियो फुटेज स्थानीय टीवी चैनल कनक टीवी पर प्रसारित हुआ था।

इस वीडियो फुटेज में अधिकारी ने सफेद शर्ट पर लाल स्वेटर पहन रखी है तथा इधर-उधर टहलते हुए विरोध कर रहे स्थान से बच्चों को धक्का देते हुए भी दिखाया गया है। जिला पुलिस निरीक्षक सत्यब्रत भोई ने कहा कि इस घटना की जांच के आदेश दे दिए गए हैं। भोई ने कहा कि इस प्रकरण पर उचित कार्यवाही की जाएगी। इस्पात संयंत्र का शुरू से ही विरोध कर रहे तथा पोस्को प्रतिरोध संग्राम समिति (पीपीएसएस) का नेतृत्व कर रहे प्रशांत पाइक्रेय ने कहा कि उनके पास पुलिस या मजिस्ट्रेट अधिकार भी नहीं थे। आखिर किस अधिकार से उन्होंने शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे व्यक्ति और बच्चों पर हमला किया।

पाइक्रेय ने कहा कि उन्होंने कंपनी के दलाल जैसा काम किया है। समय आने पर लोग इस कृत्य का जवाब देंगे। पीपीएसएस इस अधिकारी के खिलाफ राज्य मानवाधिकार संगठन में शिकायत दर्ज कराएगी। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राज्य अध्यक्ष जुअल ओरम ने घटना की निंदा करते हुए अधिकारी तथा पुलिसकर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। वह कहते हैं कि भारत लोकतांत्रिक देश है तथा यहां सभी को विरोध करने का पूरा अधिकार है। अगर सरकार इस तरह के शांतिपूर्ण प्रदर्शनों को दबाने का प्रयास करेगी तो उसे इसके परिणाम भुगतने होंगे।

मानवाधिकार कार्यकर्ता बिस्वरूप कानूनगो कहते हैं कि पुलिस के पास भी इस तरह के प्रदर्शनकारियों की पिटाई करने का कोई अधिकार नहीं है। अगर कहीं लोग गैरकानूनी तरीके से इकट्ठा होते हैं तो पुलिस उन्हें तितर-बितर करने के लिए उचित कदम उठा सकती है। जबकि घटनास्थल पर इकट्ठा प्रदर्शनकारी गैरकानूनी तरीके से इकट्ठा नहीं हुए थे। कानूनगो ने जोर देते हुए कहा कि यह राज्य द्वारा नागरिक अधिकारों का दमन है। (एजेंसी)

First Published: Tuesday, February 5, 2013, 20:40

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