Last Updated: Thursday, August 2, 2012, 21:10
नई दिल्ली : तीस जुलाई को उत्तरी ग्रिड के फेल होने से कुछ घंटे पहले ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई थी जब बिजली पारेषण लाइन लगभग बंद होने के कगार पर पहुंच गया था। इसका कारण उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश द्वारा कोटा से अधिक बिजली लेना था।
शुरूआती जांच में यह बात सामने आई है। करीब 30 करोड़ आबादी तक बिजली पहुंचाने वाला उत्तरी ग्रिड पहले 30 जुलाई को देर रात 2 बजकर 33 मिनट पर ठप हो गया। उसके बाद यह दोबारा 31 जुलाई को दोपहर एक बजे बैठ गया।
हालांकि पावर ग्रिड की अनुषंगी पावर सिस्टम आपरेशन कंपनी लि. (पीओएसओसीओ) की शुरुआती जांच में पाया गया है कि 29 जुलाई को दोपहर तीन बजकर 10 मिनट पर भारी बिजली प्रवाह के कारण ग्रिड ठप होने के लगभग करीब पहुंच गया था। पीओएसओसीओ ने बिजली संकट पर शुरूआती रिपोर्ट में कहा है कि 30 जुलाई को उत्तरी ग्रिड पूरी तरह ठप हो गया था जबकि उसके अगले दिन उत्तरी, पूर्वी तथा पूर्वोत्तर ग्रिड काफी हद तक बंद हो गया था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि दोनों दिन की घटना से पहले 400 केवी की बीना-ग्वालियर-आगरा सिंगल सर्किट खंड में 1000 मेगावाट बिजली का प्रवाह हो रहा था। जहां बीना और ग्वालिया मध्य प्रदेश में है वहीं आगरा उत्तर प्रदेश में है। इस कारिडोर में एक और सर्किट में 765 केवी स्तर के उन्नयन कार्य के कारण 29 जुलाई से बिजली नहीं थी।
पीओएसओसीओ ने यह भी कहा कि इसी प्रकार की स्थिति 29 जुलाई को दोपहर 3 बजकी 10 मिनट पर उत्पन्न हुई थी। उस समय ग्रिड ठप होने की स्थिति में पहुंच गया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ विशेष खंड में लोड उसकी सीमा से कहीं अधिक थी वहीं पूर्वी क्षेत्रों में कई सर्किटों में लोडिंग सामान्य स्तर से कहीं अधिक है। पीओएसओसीओ ने 30 जुलाई तथा 31 जुलाई की स्थिति के विश्लेषण के बाद स्थिति में सुधार के लिये कुछ सुझाव दिए हैं। इसमें अंतर-क्षेत्रीय तथा अन्य लिंक की ट्रांसफर क्षमता की समीक्षा तथा कोटा से अधिक बिजली लेने के लिये शुल्क लगाना शामिल हैं। (एजेंसी)
First Published: Thursday, August 2, 2012, 21:10