बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने की लड़ाई निर्णायक दौर में पहुंचेगी: नीतीश

बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने की लड़ाई निर्णायक दौर में पहुंचेगी: नीतीश

बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने की लड़ाई निर्णायक दौर में पहुंचेगी: नीतीशपटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के जारी लडाई अब रोचक दौर में पहुंच गयी है और इसके लिए दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित रैली के बाद यह लडाई जरूर निर्णायक दौर में पहुंचेगी। बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के लिए प्रदेश में सत्ताधारी जदयू द्वारा दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित रैली के संबंध में पूछे गए एक प्रश्न पर नीतीश ने कहा कि पिछले अनेक वर्षों से बिहार में विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त करने के लिए अभियान चल रहा है।

उन्होंने कहा कि विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने को लेकर बिहार विधानसभा ने वर्ष 2006 में ही सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया था और वर्ष 2010 में बिहार विधान परिषद ने भी इसको लेकर प्रस्ताव पारित किया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमलोग इसके लिए निरंतर अभियान चलाते रहे और फिर बिहार के लगभग सवा करोड लोगों ने इस मांग के पक्ष में हस्ताक्षर किया और उससे संबंधित ज्ञापन भी प्रधानमंत्री जी को दिया गया।

उन्होंने कहा कि उसके बाद प्रधानमंत्री ने जो अंतरमंत्रालय समूह का गठन किया उसने बहुत ही सतही तौर पर मामले की पडताल की और जो पुराना राग था उसी को अलापा गया कि विशेष राज्य के लिए जो मापदंड है उसपर बिहार खरा नहीं उतरता है क्योंकि यह प्रदेश पर्वतीय राज्य नहीं है और कम आबादी वाला राज्य नहीं है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हीं के द्वारा निर्धारित मापदंडों पर हम खरे उतरते हैं क्योंकि बिहार अगर पर्वतीय राज्य नहीं है तो महापर्वत हिमालय से निकली नदियों से हर साल बाढ आती है और उत्तर बिहार में तबाही मचती है। उन्होंने कहा कि हमारी आबादी कम नहीं है लेकिन सबसे अधिक है तो हमारी ही समस्याएं हैं।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि विशेष राज्य का मतलब है कि जहां की समस्याएं विशेष हों और उनके निराकरण के लिए विशेष राज्य का दर्जा मिले, हम इस भावना को लेकर चलते रहे और पटना के गांधी मैदान में विराट रैली हुई तथा उसके बाद भी पुन: प्रधानमंत्री जी और वित्तमंत्री जी से मिले तब पिछले दिनों कुछ सकारात्मक प्रगति हुई है। नीतीश ने कहा कि वित्तमंत्री द्वारा प्रस्तुत आर्थिक सर्वेक्षण में हमारी मांग के पीछे जो सिद्धांत है उसपर उन्होंने ध्यान दिया और हमारी जो मांग थी कि बिहार प्रगति के मामले में राष्ट्रीय औसत से बहुत पीछे है, चाहे प्रति व्यक्ति आय, मानव विकास सूचकांक अथवा बुनियादी ढांचे का सवाल हो।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इसको उन्होंने सिद्धांत के तौर पर स्वीकार किया और कहा गया आर्थिक सर्वेक्षण में कि विशेष राज्य के दर्जे पर पुनर्विचार की जरूरत है और गत वर्ष दिसंबर महीने मं संसद में एक प्रश्न के उत्तर में वित्तमंत्री ने इस बात का जिक्र किया था।

उन्होंने कहा कि इससे हम सबके मन में उम्मीद जगी है और वित्तमंत्री ने अपने बजट भाषण में भी इसबात का उल्लेख किया है कि पिछडेपन को मापने की कसौटी में परिवर्तन होना चाहिए और जो भी निधि है कि उसके अंतरण के लिए या विकास के कार्यो के लिए इस नीति के अनुसार कार्य योजना बनाएंगे, इसका उन्होंने संकेत दिया है।

नीतीश ने कहा कि विशेष राज्य के दर्जे की मांग अब रोचक दौर में पहुंच गयी है और दिल्ली के रामलीला मैदान में हम अपनी आवाज बुलंद करेंगे और जब केंद्र सरकार ने कहा है कि मापदंडों पर विचार करेंगे तो हम मांग करेंगे कि शीध्र मापदंडों में परिवर्तन हो।

नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार एक पिछडा राज्य है जो कि आगे बढना चाहता है और यह लडाई बिहार से पिछडेपन को समाप्त करने के लिए है तथा उन्हें पूरा विश्वास है कि अंततोगत्वा बिहार के लोगों को न्याय मिलेगा। नीतीश ने कहा कि बिहार के लोगों की इस लडाई से अगर उसे कार्यरूप दिया जाता है तो उससे बिहार को फायदा पहुंचेगा ही, इसके साथ-साथ देश के समस्त पिछडे राज्यों को इसका लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि एक मायने में हमारी लडाई बिहार के लिए तो है ही उसके अलावा देश के समस्त पिछडे राज्यों के लिए है।

नीतीश ने कहा कि दिल्ली में आयोजित रैली की बडी अहमियत है और उसको लेकर बिहार के लोगों और दिल्ली में बसे यहां के लोगों में उत्साह है। उन्होंने कहा कि ऐसी संभावना है कि उक्त रैली में बडी संख्या में लोग उपस्थित होंगे और इस मांग पर जोर डालेंगे और हम तो चाहेंगे कि दिल्ली के लोग हमारी आवाज और बिहार के लोगों की आवाज को सुने, तभी देश में समावेशी विकास हो सकता है। नीतीश ने कहा कि यह रैली विशुद्ध रूप से विकास को लेकर और देश की प्रगति को लेकर है। (एजेंसी)

First Published: Sunday, March 17, 2013, 09:42

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