Last Updated: Saturday, July 14, 2012, 21:22
नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि यदि अपार्टमेन्ट का निर्माण करने वाला भवन निर्माता पट्टा विलेख का निष्पादन कराने में असफल रहता है तो दिल्ली विकास प्राधिकरण और भूमि एवं विकास कार्यालय इस तरह के पट्टे विलेख का निष्पाद कर सकते हैं। इस तरह अपार्टमेन्ट में फ्लैट खरीदने वालों को अपने मकान पर मालिकाना हक मिल जाएगा और उन्हें संपत्ति के हस्तांतरा और उसे गिरवी रखने के मामले में प्रमोटर पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश ए के सीकरी और न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडलॉ की खंडपीठ ने एक जनहित याचिका पर यह व्यवस्था दी। न्यायालय ने कहा कि यदि अपार्टमेन्ट का पट्टा विलेख निष्पादिन कराने में भवन निर्माता विफल रहता है तो सक्षम प्राधिकारी एजेन्सी ऐसा कर सकती है। इस याचिका में न्यायालय से दिल्ली अपार्टमेन्ट ओनरशिप कानून लागू करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।
न्यायालय ने कहा कि उनकी राय है कि यदि दिल्ली अपार्टमेन्ट ओनरशिप कानून की धारा 13 (4) के तहत प्रमोटर या भवन निर्माता पट्टा विलेख का निष्पादन करने मे विफल रहता है तो सक्षम प्राधिकारी उसे अपार्टमेन्ट के पट्टे का निष्पादन करने का आदेश दे सकती हैं और यदि यदि इसके बावजूद वह ऐसा नहीं करता है तो एजेन्सी स्वंय अपार्टमेन्ट के पट्टे विलेख का निष्पादन करके इसे भवन निर्माता की ओर से पंजीकृत करा सकती हैं।
यह खंडपीठ न्यायालय के मई 2010 के आदेश पर अमल के लिए दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। मई 2010 के आदेश में न्यायलाय ने भूमि की स्वामी एजेन्सी को निर्देश दिया था कि वह दिल्ली अपार्टमेन्ट ओनरशिप कानून के तहत सक्षम प्राधिकारी की नियुक्ति करें और अपार्टमेन्ट के पट्टा विलेख के पंजीकरण और अपार्टमेन्ट ओनर्स एसोसिएशन के सृजन की दिशा में कदम उठाये ताकि फ्लैट के मालिक इस कानून के तहत प्रदत्त लाभ प्राप्त कर सकें।
याचिका में कहा गया था कि दो साल बीत जाने के बावजूद इस मामले में कुछ नहीं किया गया है जिसकी वजह से फ्लैट खरीदने वालों को इसका पूर्ण स्वामित्व नहीं मिल सका है और वे संपत्ति को गिरवी रखने में भी परेशानियों का सामना कर रहे हैं। (एजेंसी)
First Published: Saturday, July 14, 2012, 21:22