मतभेदों के बाद शंकराचार्य ने इलाहाबाद छोड़ा

मतभेदों के बाद शंकराचार्य ने इलाहाबाद छोड़ा

इलाहाबाद : भूमि आवंटन को लेकर प्रशासन और आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित चारों पीठों के प्रमुखों के बीच मतभेद आज इस कदर बढ़ गए कि एक शंकराचार्य ने कुंभ में शामिल नहीं होने का संकल्प करते हुए शहर छोड़ दिया।

द्वारका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ‘शंकराचार्य चतुष्पद’ के लिए भूमि आवंटित किये जाने से प्रशासन के इनकार के बाद मध्य प्रदेश स्थित अपने आश्रम के लिए रवाना हो गये। पुरी और श्रृंगेरी पीठ के प्रमुखों ने भी सैद्धांतिक रूप से उनका समर्थन किया। स्वरूपानंद के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा, ‘प्रस्तावित कदम असली और लोगों को गुमराह कर रहे नकली शंकराचार्यों में अंतर करने के लिए है।’ अविमुक्तेश्वरानंद यमुना नदी के किनारे एक मंदिर में ठहरे हुए हैं।

शंकराचार्य चतुष्पद में आदि शंकराचार्य की प्रतिमा लगाई जानी थी और चारों पीठों के शंकराचार्यों के शिविरों के लिए चार कोनों पर जमीन आवंटित की जानी थी। अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि स्वरूपानंद जी का मत था कि कानूनी वाद और अन्य कदमों के जरिए ऐसे तत्वों से लड़ा जाए। इसलिए सभी शंकराचार्यों को एक साथ लाना ऐसे लोगों के खिलाफ प्रभावी कदम साबित होता।

उन्होंने कहा, ‘हालांकि, प्रशासन ने मांग को यह कहकर खारिज कर दिया कि यह परंपरा के खिलाफ है, जो सही नहीं है। पिछले तीन दशक से शंकराचार्यों के शिविर एक दूसरे के नजदीक लगते रहे हैं। हम यह नहीं समझ पा रहे कि आदि शंकराचार्य की प्रतिमा लगाने से क्या नुकसान हो जाता।’ (एजेंसी)

First Published: Monday, December 31, 2012, 00:03

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