Last Updated: Thursday, July 25, 2013, 17:49
इंदौर : फैशन के मामले में मध्य प्रदेश के इंदौर शहर को दूसरा मुंबई कहा जाता है। मगर इस शहर के एक संस्थान ने आजीबोगरीब फरमान जारी करते हुए छात्राओं के स्लीवलेस, शार्ट्स व द्विअर्थी वाक्य लिखी टी शर्ट्स के पहनने पर पाबंदी लगा दी है। इसका विरोध हो रहा है, मगर आदेश में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
देवी अहिल्याबाई विश्वविद्यालय के इंस्टीटयूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज (आईएमएस) में पढ़ने वाली छात्राएं अब अपनी पसंद के लिबास नहीं पहन सकेंगी। उन्हें स्लीवलेस कुर्ते, कमीज, द्विअर्थी संवाद लिखी टी शर्ट और शार्ट्स पहनने की आजादी नहीं रहेगी। विभाग के निदेशक इस पहनावे को संस्कृति के खिलाफ मानते हैं।
आईएमएस के निदेशक एनपी मिश्र ने छात्राओं को शालीन कपड़े पहनने की हिदायत देते हुए साफ तौर पर आदेश जारी कर दिया है कि वे जब पढ़ने आएं तब बिना बाहों वाले कपड़े, शार्ट्स व ऐसी टी शर्ट पहनकर न आएं जिन पर द्विअर्थी शब्द या वाक्य लिखे होते हैं।
आईएमएस के निदेशक के पहनावे संबंधी आदेश के बाद छात्र जगत की ओर से विरोध के स्वर उठने लगे हैं। मामला जिला प्रशासन तक पहुंचा है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने निदेशक के आदेश को छात्राओं के पहनावे की आजादी का हनन करने वाला करार दिया है।
छात्र नेता मधु का कहना है कि निदेशक का यह फैसला पूरी तरह दकियानूसी है और वह पहनावे को बेवजह संस्कृति से जोड़कर देख रहे हैं। जरूरत है कि आम लोग अपनी मानसिकता में बदलाव लाएं, पहनावे का कोई असर नहीं होता है।
आईएमएस के छात्र-छात्राओं का कहना है कि अगर निदेशक को छात्राओं के पहनावे को ही तय करना है तो बेहतर होगा कि वे विभाग में ड्रेस कोड लागू कर दें। साथ ही कालेज में आने वाले छात्रों से स्कूल के बच्चों जैसा बर्ताव करें। देश में बदलते माहौल के बीच इंदौर के आईएमएस के निदेशक का आदेश सोच पर सवाल खड़े करने वाला है। देखना होगा कि छात्राओं को मनमाफिक पहनावे की आजादी मिलती है या फिर वही होगा जो आदेश में कहा गया है। (एजेंसी)
First Published: Thursday, July 25, 2013, 17:49