Last Updated: Monday, February 4, 2013, 22:45
संगम (इलाहाबाद) : उत्तर प्रदेश में तीर्थराज प्रयाग में लगे दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक मेले महाकुम्भ में संगम तट पर बसे अखाड़ों में रखे देवपात्र की कड़ी सुरक्षा की जाती है और यहां रहने वाले संतों का कहना है कि देवपात्र को कोई चुरा नहीं सकता। महाकुम्भ में अखाड़ों के पांडालों में देवपात्र के रूप में रखा गया पात्र अमूल्य होता है।
यदि गलती से भी यह देवपात्र किसी के हाथ लग गया तो अखाड़े अपने सूत्र के माध्यम से देवपात्र चुराने वाले को ढूंढ निकालते हैं, चाहे वह दुनिया के किसी भी कोने में क्यों न छुपा हो। अखाड़ों के कुछ संतों की माने तो यदि कोई चोर देवपात्र गलती से भी चुरा ले तो अखाड़े तब तक उसकी वश में रहते हैं जब तक वह देवपात्र लौटा न दे। शायद इसीलिए देवपात्र की कड़ी सुरक्षा की जाती है।
अखाड़ों में पूजा के दौरान उपयोग की जाने वाली सामग्री देवपात्र कहलाती है। चाहे वह कटोरा हो, आरती की थाली हो या फिर आभूषण। देवपात्र के रूप में रखा लकड़ी का एक छोटा सा टुकड़ा भी बहुमूल्य होता है। आनंद अखाड़े के एक संत कहते हैं कि अखाड़ों के भीतर घुसकर देवपात्र को हाथ लगाने या फिर उसे चुराने का प्रयास करना असंभव है। देवपात्र के इर्दगिर्द काफी कड़ी सुरक्षा रहती है।
संत ने बताया कि अगर राह चलते ऐसा हो भी गया तो देवपात्र ले जाने वाला दुनिया के जिस कोने में छिपेगा, उसे खोज निकाला जाएगा। विशेष बात यह है कि इस काम में पुलिस की भी मदद नहीं ली जाती क्योंकि अखाड़ों के अपने सूत्र होते हैं और उसकी मदद से देवपात्र को चुराने वाले को खोज निकाला जाता है। (एजेंसी)
First Published: Monday, February 4, 2013, 22:45