Last Updated: Monday, May 13, 2013, 00:31
ज़ी मीडिया ब्यूरोमुंबई : रेप पीड़िता को ट्रॉमा और अपमान से बचाने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने अहम कदम उठाते हुए राज्य में एक गवर्नमेंट रिजोल्यूशन (जीआर) जारी किया है। इसके तहत अब रेप पीडिता का फिंगर टेस्ट नहीं किया जाएगा। गौरतलब है कि रेप के बाद मेडिकल जांच के दौरान पीड़िता को फिंगर टेस्ट के जरिए एक बार फिर उस ट्रॉमा से गुजरना पड़ता था।
इस जीआर में राज्य स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर्स, पैरामेडिक्स और मेडिकल अधिकारी को नए मैनुअल की अनुपालना करने के निर्देश दिए गए हैं। इस मैनुअल में टेस्ट करने का तरीका स्पष्ट किया गया है। इसके तहत इन सभी अधिकारियों को सैक्सुअल असॉल्ट झेलने वालों के साथ संवेदनशीलता से पेश आने के लिए ट्रेनिंग दी जाएगी।
यह जीआर उस आठ-सदस्यीय पैनल की रिपोर्ट पर आधारित है जिसे राज्य ने बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बैंच के निर्देशानुसार नियुक्त किया था। गौरतलब है कि यह पीआईएल वर्ष 2010 में डॉ. रंजना पार्घी ने लगाई थी। पैनल ने नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। जीआर में कहा गया है कि मौजूदा प्रोटोकॉल में विरोध के निशान, योनिच्छद की जांच और टू-फिंगर टेस्ट के जरिए वर्जेनिटी असेस्मेंट सहित बाहरी चोट को ज्यादा तवज्जो दी जाती है।
जीआर में लिखा गया है, `टेस्ट के दौरान पूर्व में यौन संबंध की जानकारी लेना गलत है और डॉक्टर को यह जांचने की जरूरत नहीं है कि पीड़िता आदतन सैक्सुअल इंटरकोर्स किया है या नहीं।` इसके अलावा कुछ अन्य दिशा-निर्देशों में यह भी शामिल किया गया है कि मेडिकल जांच से पहले पीड़िता की हामी जरूरी है और पीड़िता की जांच के दौरान महिला डॉक्टर की गैरमौजूदगी में किसी महिला नर्स या अटेंडेंट की मौजूदगी में होना अनिवार्य है।
First Published: Monday, May 13, 2013, 00:31