मुंडा ने अपने गुरू शिबू सोरेन को फिर दी मात!

मुंडा ने अपने गुरू शिबू सोरेन को फिर दी मात!

मुंडा ने अपने गुरू शिबू सोरेन को फिर दी मात!रांची : झारखंड मुक्ति मोर्चा के शिबू सोरेन के राजनीतिक शिष्य रहे पैंतालीस वर्षीय अर्जुन मुंडा ने बारह वर्ष पुराने झारखंड राज्य में तीसरी बार मुख्यमंत्री पद छोड़कर अपने गुरू की चाल की ऐसी काट की जिसमें झामुमो फंसी नजर आ रही है।

मुंडा ने विधानसभा भंग करने की सिफारिश करके सोरेन के मुख्यमंत्री बनने की राह में रोड़ा डाल दिया है। इससे न न सिर्फ झामुमो खेमे में बेचैनी है बल्कि कांग्रेस के रणनीतिकार भी परेशान लग रहे हैं।

वर्ष 1980 के दशक में शिबू सोरेन की झारखंड मुक्ति मोर्चा से अपना राजनीतिक कैरियर प्रारंभ करने वाले अजरुन मुंडा ने 1995 में भाजपा का दामन थामा और खरसावां विधानसभा से चुनाव जीतकर वह पहली बार भाजपा के विधायक बने और उसके बाद उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

पंद्रह नवंबर, 2000 में झारखंड अलग राज्य बना तो बाबूलाल मरांडी ने भाजपा की ओर से राज्य की कमान संभाली और उनके मंत्रिमंडल में मुंडा मंत्री बनाये गये। मार्च, 2003 में मरांडी की सरकार विधानसभा में कुछ मंत्रियों के ही पाला बदलने से गिर गयी तो मुंडा उभर कर सामने आये और भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह की शह पर उन्होंने यहां की नयी सरकार बनाई।

मुंडा ने एक बार सत्ता की चाभी मिलने के बाद राज्य भाजपा में अपने आगे किसी और को काबिज नहीं होने देने की नीति अपनाई और पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी को ऐसे किनारे किया कि आखिर उन्हें 2007 में भाजपा छोड़कर नयी पार्टी झारखंड विकास मोर्चा का गठन करना पड़ा। वर्ष 2005 में झारखंड विधानसभा के दूसरे चुनाव पूरी तरह विखंडित जनादेश आया और मुंडा के जोड़ तोड़ से सोरेन के नेतृत्व में बनी सरकार नौ दिनों के भीतर ही गिर गई। इसके बाद उन्होंने एक बार फिर किसी तरह बहुमत जुटाकर यहां भाजपा की सरकार बनवा दी जिससे देश के मुख्य विपक्षी दल का उनपर विश्वास जम गया।

लेकिन जल्द ही मधु कोड़ा, एनोस एक्का, कमलेश सिंह और हरिनारायण राय जैसे विधायकों के विद्रोह से उनकी सरकार गिर गयी। कोड़ा ने 14 सितंबर, 2006 को कांग्रेस और राजद के बाहर से दिये गये समर्थन से सरकार बना ली जो 2008 तक चली। बाद में भ्रष्टाचार के कुछ मामलों का खुलासा होने पर कोड़ा और उनके मंत्रिमंडल के आधा दर्जन सहयोगी जेल में। कोड़ा को अबतक जमानत नहीं मिल सकी है।

दिसंबर, 2009 में हुए तीसरी विधानसभा के चुनावों में एक बार फिर जब झारखंड में त्रिशंकु विधानसभा का गठन हुआ और झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन के सरकार बनाने का दावा करने पर भाजपा ने उन्हें समर्थन दे दिया। अप्रैल, 2010 में कांग्रेस की यूपीए सरकार द्वारा लोकसभा में पेश केन्द्रीय बजट के खिलाफ जब भाजपा के कटौती प्रस्ताव के विरोध में शिबू सोरेन ने मतदान किया तो उससे नाराज केन्द्रीय भाजपा नेतृत्व ने सोरेन सरकार से समर्थन वापस ले लिया और तीस मई को सोरेन को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा।

इसके बाद तीन माह तक राष्ट्रपति शासन लागू रहने के पश्चात एक बार फिर से झामुमो के विधायक दल के नेता हेमंत सोरेन ने मुंडा से सरकार बनाने की पहल का अनुरोध किया और भाजपा केन्द्रीय नेतृत्व ने उन पर भरोसा जताया जिसके बाद मुंडा ने लोगों को एकजुट कर 11 सितंबर, 2010 को नयी सरकार का गठन किया।

आज एक बार फिर मुंडा को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा लेकिन उन्होंने विधानसभा भंग करने की अनुशंसा करके अपने गुरू की राह में कांटा बो दिया और मुस्कराते हुए कहा ‘फिर आयेंगे बहार बन कर।’ (एजेंसी)

First Published: Tuesday, January 8, 2013, 20:05

comments powered by Disqus