Last Updated: Thursday, September 27, 2012, 21:58
मुंबई : बंबई हाईकोर्ट ने कहा है कि मुस्लिम व्यक्ति का दूसरी शादी करना पहली पत्नी को गुजारा भत्ता देना बंद करने या उसे कम करने का कारण नहीं हो सकता। न्यायमूर्ति रोशन दलवी ने एक महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, ‘दरअसल इस्लामी कानून के अनुसार कोई व्यक्ति दूसरी शादी करने का हकदार होगा बशर्ते वह दोनों पत्नियों का समान रूप से अच्छे तरीके से भरण-पोषण करने में सक्षम हो।’
न्यायाधीश ने हालिया आदेश में कहा, ‘अगर पति कमाई करने की स्थिति में है और उसने दूसरी शादी कर ली है और उसे दूसरी पत्नी है, इस तथ्य के कारण वह पहली पत्नी को मिलने वाले गुजारा भत्ते की राशि कम नहीं कर सकता जिसकी पति ने अनदेखी की है और देखभाल करने में विफल रहा है।’ अदालत कुटुम्ब अदालत के आदेश के खिलाफ एक महिला की अपील पर सुनवाई कर रही थी। उसका पति एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर है और अदालत ने उसे प्रतिमाह पहली पत्नी को गुजारा भत्ता के तौर पर 7900 रुपये देने का आदेश दिया था क्योंकि तलाक की घोषणा के जरिए उनकी शादी भंग नहीं की गई थी।
पति अपने दावे के विपरीत तलाक का सबूत देने में विफल रहा। न्यायमूर्ति दलवी ने कहा, ‘इस बात का निर्धारण पति को करना है कि क्या उसकी वित्तीय हालत दो-दो पत्नियों की देखभाल करने लायक है। अगर उसकी दो पत्नियां हैं तो वह दोनों का भरण-पोषण के लिए जिम्मेदार है और इससे बंधा हुआ है।’ (एजेंसी)
First Published: Thursday, September 27, 2012, 21:58