Last Updated: Monday, November 21, 2011, 07:24
ज़ी न्यूज ब्यूरो/एजेंसियां लखनऊ: उत्तर प्रदेश को चार हिस्सों में विभाजित करने का प्रस्ताव सोमवार को विधानसभा में विपक्ष के भारी हंगामे के बीच पारित हो गया। इसके साथ ही विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। विधानसभा सत्र सोमवार को ही शुरू हुआ था।
सदन की कार्यवाही लगभग घंटे भर स्थगित रहने के बाद जब दोबारा शुरू हुई तो समाजवादी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने अविश्वास प्रस्ताव पर पहले बहस कराने की मांग की। सपा और भाजपा ने मायावती सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया था।
विपक्षी दलों के शोर-शराबे के बीच पहले लेखानुदान मागों को पारित किया गया, उसके बाद सरकार ने प्रदेश के पुनर्गठन का प्रस्ताव पेश किया और उसे बिना बहस कराए पारित कर दिया।
विपक्ष के हंगामे को देखते हुए लगभग 10 मिनट के अंदर ही विधानसभा अध्यक्ष ने विधानसभा को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया। विपक्षी दलों ने बिना बहस कराए विभाजन के प्रस्ताव को पारित करने की घटना को लोकतंत्र की हत्या बताया।
सपा नेता अम्बिका चौधरी ने इसे इतिहास का काला दिन बताते हुए कहा कि मायावती सरकार ने संविधान की धज्जियां उड़ाई है।
भाजपा नेता ओम प्रकाश सिंह ने इसे लोकतांत्रिक परम्पराओं की हत्या बताया है। कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि आनन-फानन में 10 मिनट के अंदर बिना बहस के प्रस्ताव पारित किया जाना संविधान विरोधी है।
इसके पहले सुबह सदन की बैठक जैसे ही शुरू हुई, विपक्षी सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया। इसके कारण विधानसभा अध्यक्ष सुखदेव राजभर ने विधानसभा की कार्यवाही अपराह्न् 12.20 बजे तक के लिए स्थगित कर दी थी।
पोस्टरों और बैनरों के साथ पहुंचे सपा विधायक विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही 'मायावती सरकार को बर्खास्त करो' के नारे लगाने लगे। हंगामे में भाजपा विधायकों ने भी साथ दिया।
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष एवं सपा के वरिष्ठ नेता शिवपाल सिंह यादव ने मायावती सरकार को भ्रष्टाचारी व अल्पमत वाली सरकार करार देते हुए सरकार से इस्तीफे की मांग की थी।
First Published: Tuesday, November 22, 2011, 11:23