Last Updated: Wednesday, March 7, 2012, 08:07
ज़ी न्यूज ब्यूरो लखनऊ : उत्तर प्रदेश की निवर्तमान मुख्यमंत्री मायावती ने राज्य विधानसभा चुनाव के मंगलवार को घोषित नतीजों में अपनी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की हार के लिए कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को दोषी ठहराते हुए आज कहा कि समाजवादी पार्टी को बहुमत देने वाली, प्रदेश की जनता को कुछ समय बाद अपने इस कदम पर पछतावा होगा। मायावती ने बुधवार को कहा कि क्योंकि परिणाम पार्टी के पक्ष में नहीं रहे, इसलिए मैंने उत्तर प्रदेश के राज्यपाल से सदन को भंग करने की सिफारिश की है और मैंने अपना इस्तीफा दे दिया है। मायावती ने आरोप लगाया कि समाजवादी पार्टी (सपा) उनकी सरकार के कल्याण कार्यक्रमों को रोक देगी और उत्तर प्रदेश को कई साल पीछे ले जाएगी।
मायावती ने राज्यपाल बीएल जोशी को इस्तीफा सौंपने के बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा कि दुख की बात यह है कि अब प्रदेश में सत्ता ऐसी पार्टी के हाथों में आ रही है जो मेरे कार्यकाल में शुरू किए गए विकास कार्यो को ठंडे बस्ते में डालकर प्रदेश को हर स्तर पर फिर से कई वर्ष पीछे ले जाएगी। इसके लिए हमारी पार्टी कांग्रेस तथा भाजपा को जिम्मेदार मानती है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की जनता बहुत जल्द ही सपा की कार्यशैली से तंग आकर बसपा के सुशासन को जरूर याद करेगी। मुझे पूरा भरोसा है कि प्रदेश की जनता अगली बार हमारी पार्टी को पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में जरूर वापस लाएगी।
मायावती ने कहा कि कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव से ऐन पहले राजनीतिक स्वार्थ के लिए पिछड़े मुसलमानों को आरक्षण देने की बात कही तो भाजपा ने इसका विरोध करते हुए अगड़ी जातियों तथा अन्य पिछड़ा वर्ग की अन्य जातियों के मतों के ध्रुवीकरण की कोशिश की। इससे भाजपा के सत्ता में आने की आशंका से घबराए मुसलमानों के करीब 70 प्रतिशत वोट सपा को मिल गए और बसपा के हाथ शिकस्त लगी।
मायावती ने कहा कि प्रदेश में दलितों को छोड़कर ज्यादातर हिन्दू वोट, खासतौर पर अगड़ी जातियों के वोट कई पार्टियों में बंट जाने के कारण इसका सीधा लाभ सपा के उम्मीदवारों को मिला। उन्होंने कहा कि इन्हीं कारणों से उनकी पार्टी को इस चुनाव में गहरा नुकसान पहुंचा लेकिन फिर भी इस चुनाव में पहले से ज्यादा संतोष की बात यह रही कि इसमें विरोधी पार्टियों के हिन्दू-मुस्लिम वोटों के चक्कर में बसपा का अपना दलित जनाधार रत्ती भर भी नहीं बंटा। मायावती ने कहा कि दलित वर्ग के लोगों ने अपना एकतरफा वोट बसपा के उम्मीदवारों को दिया, जिसके कारण हमारी पार्टी इस चुनाव में दूसरे नंबर पर बनी रही है, वरना हमारी पार्टी बहुत पीछे चली जाती। इसके लिए मैं अपनी पार्टी में सबसे ज्यादा प्रदेश में अपने दलित समाज के लोगों का दिल से आभार प्रकट करती हूं।
उन्होंने कहा कि इन सब लोगों के सहयोग से ऐसे हालात में भी हमारी पार्टी के सर्वसमाज से संबंधित 80 उम्मीदवार चुनाव जीतकर आए हैं। हमारी पार्टी दलितों की तरह यहां प्रदेश में अन्य वर्ग के लोगों को भी कैडर के जरिए हिंदू-मुस्लिम मानसिकता से बाहर निकालने की पूरी कोशिश करेगी ताकि इस चुनाव की तरह आगे के चुनाव में हमारी पार्टी को इस किस्म का कोई नुकसान नहीं पहुंच सके। मायावती ने दावा किया कि उन्होंने वर्ष 2007 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में बहुमत मिलने के बाद हर स्तर पर बेहद खराब हालात में प्रदेश की सत्ता सम्भाली थी, जिन्हें सुधारने में उनकी सरकार को काफी मेहनत करनी पड़ी। जबकि इस मामले में मेरी सरकार को सहयोग देने में विरोधी पार्टियों की तरह ज्यादातर मौकों पर केंद्र का रवैया भी नकारात्मक रहा।
First Published: Wednesday, March 7, 2012, 19:50