Last Updated: Wednesday, July 31, 2013, 12:18
लखनऊ : उत्तराखंड और नेपाल के विभिन्न बैराजों से छोड़े जा रहे लाखों क्यूसेक पानी की वजह से उत्तर प्रदेश के विभिन्न अंचलों में बाढ़ का कहर जारी है। अधिकारियों के मुताबिक करीब दो दर्जन जिले बाढ़ की चपेट में हैं और यहां लाखों लोग प्रभावित हुए हैं।
प्रशासन युद्ध स्तर पर राहत एवं बचाव कार्य में जुटा हुआ है। राज्य में बिजनौर, बुलंदशहर, गोंडा, बहराइच, अयोध्या, बाराबंकी, कानपुर, आगरा, वाराणसी, गाजीपुर और बलिया में प्रमुख नदियों के जलस्तर में वृद्धि हुई है जिससे तटवर्ती इलाकों में बसे गावों के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है।
बिजनौर में गंगा नदी के तटवर्ती इलाकों में बसे करीब 10 से अधिक गावों में हालात गंभीर हैं। पुलिस और प्रांतीय सशस्त्र बल (पीएसी) के जवान प्रभावित लोगों की मदद करने में जुटे हुए हैं। गावों में फंसे हुए लोगों को नावों के माध्यम से निकालकर सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया जा रहा है। स्थानीय लोगों ने हालांकि, प्रशासन पर लापरवाही बरतने का भी आरोप लगाया है। लोगों का आरोप है कि प्रभावित लोगों के सामने खाने-पीने का संकट पैदा हो गया है और प्रशासन की ओर से जरूरतमंद लोगों तक खाद्य सामग्री नहीं पहुंचाई जा रही है।
अधिकारियों के मुताबिक राज्य में मानसूनी बारिश शुरू होने से अब तक कुल 172 लोगों की मौत हो चुकी है और 303 पशुओं की जान गई है। बाराबंकी में एल्गिन-चरसडी तटबंध में भी कई जगहों पर दरार आने से लोगों के लिए मुसीबत खड़ी हो रही है। शाहजहांपुर, कन्नौज, उन्नाव, हरदोई, अम्बेडकरनगर, गोरखपुर और देवरिया में भी बाढ़ की वजह से सैकड़ों गांव प्रभावित हुए हैं। इन जिलों में लोग कटान से अधिक प्रभावित हुए हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार सैकड़ों एकड़ कृषि योग्य भूमि गंगा में समाहित हो गई है और कई गावों में दहशत का माहौल है।
उत्तर प्रदेश बाढ़ नियंत्रण विभाग के अधिकारी आर.सी. पांडेय के मुताबिक प्रदेश में सभी तटबंध अभी पूरी तरह से सुरक्षित हैं और उनकी निगरानी की जा रही है। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, July 31, 2013, 12:18