Last Updated: Thursday, April 4, 2013, 18:14

भुवनेश्वर : राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा देने के मानदंडों पर फिर से विचार करने के केन्द्र के इरादे पर सवाल करते हुए ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने आश्चर्य जताया कि क्या यह संप्रग सरकार द्वारा राजनीतिक सौदेबाजी का तरीका नहीं है?
उन्होंने ओडिशा को विशेष दर्जे का राज्य घोषित करने की मांग वाला एक प्रस्ताव विधानसभा में पेश करते हुए कहा कि अगर केन्द्र सरकार की विशेष दर्जे के मानदंडों पर फिर से विचार करने की इच्छा है तो वह तत्काल ऐसा क्यों नहीं कर रही है? सदन के नेता के तौर पर नवीन ने एक प्रस्ताव पेश करते हुए सदस्यों से इसका निर्विरोध समर्थन करने के लिए कहा ताकि केन्द्र सरकार से ओडिशा को विशेष श्रेणी का राज्य घोषित करने का अनुरोध किया जाए।
उन्होंने केन्द्र द्वारा विशेष श्रेणी के राज्य के मुद्दे से निबटने के तरीके पर भी सवाल उठाये।
नवीन ने सवाल किया कि एक दिन बजट बयान देने और इसके बाद एक दिन एक राज्य के बारे में घोषणा करने और एक सप्ताह बाद एक अन्य राज्य के बारे में घोषणा करने की क्या जरूरत है? क्या यह विशुद्ध राजनीतिक सौदेबाजी नहीं है?
ओडिशा को विशेष राज्य का दर्जा देने की पुरजोर तरीके से मांग करते हुए नवीन ने कहा कि वर्ष 2010-11 में राज्य की असल प्रति व्यक्ति आय में राष्ट्रीय औसत की 70 प्रतिशत बढोत्तरी हुई, इससे लगता है कि राज्य को इस दर से राष्ट्रीय औसत तक पहुंचने में कम से कम तीन दशकों का समय लग सकता है। विशेष राज्य के दर्जे की मांग को ओडिशा का ‘कानूनी दावा’ करार देते हुए नवीन ने कहा कि इससे पहले उन्होंने राष्ट्रीय विकास परिषद से यह दर्जा देने के मानदंड पर फिर से गौर करने और फिर से परिभाषित करने के साथ कम विकसित राज्यों को विशेष छूट देने का अनुरोध किया था।
उन्होंने कहा कि ओडिशा को विशेष राज्य के दर्जे की मांग बहुत पुरानी और पूरी तरह से सही है। उन्होंने कहा कि राज्य ने वर्ष 1979 में एनडीसी में पहली बार यह मांग की थी और ये प्रयास 90 के दशक तक जारी रहे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 10वीं और 11वीं ओडिशा विधानसभाओं ने ओडिशा को विशेष राज्य घोषित करने के लिए भारत सरकार से अनुरोध वाले प्रस्ताव निर्विरोध स्वीकार किये। (एजेंसी)
First Published: Thursday, April 4, 2013, 18:14